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काश... कोई मेरी लाइब्रेरी में भी घुसपैठ करता,
करके यौवन का पसीना-पसीना हमकों पढ़ता !!
काश...कोई हमारी लाइब्रेरी की पन्नों को चूमता,
करके मदहोश हमें उंगुलियों से कुछ लिखता !!
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न जाने क्या बात है तुम्हारे हर अंदाज में
अजीब सी कशिश है तुम्हारे इस शबाब में
तेरी सांसों की हरारत से पिघल जाऊं न कहीं
तुम समा गए हो मेरी हर धड़कन हर सांस में
तेरे दीदार की तलब लाजमी है ऐ मेरे सनम
तेरी धड़कन भी हुई शामिल मेरी आवाज में-
पेड़ों पर झूले, सावन में रिमझिम बारिश की फुहार,
अब आ भी जाओं नहीं ही रहा सनम तेरा इन्तजार.
हरियाली तीज की सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभेच्छा .!!-
मुझ जैसी लाइब्रेरी को पढ़ा सका न कोई,
आया बस प्यास बुझाया और चल दिया हर कोई-
लग रहा है फितरत के कुछ मारे थे हम
अब तिल-तिल तन्हा मर रहे है हम
निशानियां रख जाने दिया शख्स को
अब सुकू के लिए पल-पल तड़प रहे हैं हम-
इश्क़ "हम उम्र" से हो, ये ज़रूरी तो नहीं.
इश्क़ तो "हर उम्र" को "हम उम्र" बना देता है.-