छोड़ कर आसमां जो जमीं पर आ रही हो
यह कौन- सी मोहब्बत है ,जो इतनी शिद्दत
से निभा रही हो....-
यू ही अगर अटक गए पुराने पन्नों में जिंदगी के तुम,
फिर नया कैसे लिख सकोगे नये पन्नों में जिंदगी के तुम!-
चाहत तो अभी भी है और
शायद उम्र भर रहेगा पर
इंतजार वक्त के साथ
कम होते चला जाएगा....!-
जो लिखा तक़दीर का उसे कैसे मिटाइये,
जो मिला है बस उसे हर हाल में निभाईये...!!-
खुशी और ग़म ये तो
ज़िंदगी के ही दो पहलू हैं ,
हालात हो चाहे जैसे भी
करना दोनों को क़ुबूल है।
खुशी आई तो मुस्कुरा कर
इस ज़िंदगी को जी लिया,
गम आया तो पल में
ज़िंदगी को अलविदा कह दिया।
बस यही क्षमता है सहने की
क्या इतना ही सब्र तेरे पास है,
जो तू चाहे हो बस वही
क्या ये ज़िंदगी तेरी दास है..?-
जो टूटा ना हो, तो वो दिल कैसा ?
जो उलझी ना हो, तो वो जिंदगी कैसी ?
जो रोया ना तु, तो वो ग़म कैसा ?
जो आंखों में चमक ना हो,
तो वो हंसी कैसी ?
जो ख़्वाब को अपने तु मुक्कमल न कर पाए,
तो वो ख़्वाब कैसा ?-
लगा इल्ज़ाम तितलियों पर,
कि वो फूल की क़ातिल हैं,
जबकि ग़ुलाब को मैने,
क़िताब में दबा कर मारा।।-