■ I don't care about Popularity,
I live in Reality, Based on Originality.✌-
अगर बचपन से मैंने भी पढ़ाई छोड़;
दादागीरी की होती तो
आज बेरोजगार नहीं होता
बल्कि अपने जिले का MLA होता।
😝😝😝😝😝😝😝-
आज़कल देख रहा हूं स्टेशनों जिलों और प्रदेशों के नाम बदलने का जैसे चलन शुरू हुआ है।
क्या सभी नाम बदलने से भरतीय अर्थव्यवस्था सही हो जायेगी?
गरीबी ख़त्म हो जायेगी?
क्या बेरोजगारी ख़त्म हो जायेगी।
सोचिए ज़रा सोचिए-
जहिया तु आपन खुला बाल के बाँध के आबेलु ,
जहिया तु आपन होंठ से हमार नाम ले के बुलाबेलू ना..
और जहिया-जहिया आपन माथा पे तु लाल बिंदी लगाबेलू ना,
माँ कसम जिला Top लागेलु.. !!!!-
आई हम आज जिला परिषद् के बारे में जानते है।
कई ग्राम पंचायतों को मिला पंचायत समिति का गठन होता है। इस मंडल या प्रखंड स्तरीय पंचायत भी कह सकते हैं। इसके सदस्यों का चुनाव उस इलाके के सभी पंचायत सदस्य करते हैं। किसी जिले की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद का गठन होता है। जिला परिषद के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद में उस जिले से लोक सभा और विधान सभा के लिए चुने गए सांसद और विधायक तथा जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी सदस्य के रूप में होते हैं। जिला परिषद का प्रमुख इस परिषद् का राजनीतिक प्रधान होता है।-
"देवरिया" देवों की नगरी है, प्रेम का वास है, मीठे सी मिठास है, दही-चुड़ा की क्या बात है, कुछ तीखेपन का भी एहसास है, लिट्टी-चोखा बहुत ही खास है, राम-नाम की धुन है,तो पान का बेहतरीन स्वाद है, शिक्षा में परचम लहराते, खेल-कूद में दमखम दिखलाते, राजनीति में लम्बा इतिहास है, इसलिए मेरे शहर का बेहतरीन अंदाज़ है।
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अजीब शख्स है वो,
आंखों से मार देता है।
एक और भी कमाल है उसमें,
अपनी बातों से जिला देता है।-
🌷 उगता सूरज और किताबें...
हवा के झोंके और लहरें मिलजुलकर जैसे;
नदी-सागर का कचरा एक किनारा करते हैं।
सुबह का उगता सूरज और वेद-किताबें ही,
जन-मानस के जीवन में उजियारा भरते हैं।।
अंधियारा छंटने से पहले जो जागा करता है,
आलस का दानव कोसों दूर भागा करता है।
मन से मन मिलाकर जो पग उठाया करते हैं;
उन्हें तूफानों के थपेड़े नहीं डराया करते हैं।।
पढ़ - लिखकर ही तो इस जग में नाम कमाते हैं,
बड़े - बुजुर्गों की बातों का सदा मान बढ़ाते हैं।
सच्चे मानव प्यार का पवित्र नीर बहाया करते हैं,
उन्हें दयालु अंशुमान भी तिलक लगाया करते हैं।।
कोट - पेंट पहनकर असत्य की आरी चलवाते हैं,
अनपढ़ लाचार लोगों से बंधुआ खेती करवाते हैं।
ऐसे इंसां कभी किसी का उद्धार नहीं कर सकते हैं,
बंगला - कार से यह जीवन पार नहीं कर सकते हैं।।
(काव्य संग्रह:- “मैं भारत हूँ”से)
१५/०४/२०२१
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...✍️कमल शर्मा‘बेधड़क’-