क्यों उग आती है हर रोज चेहरे पर ये दाढ़ी
बड़ी जिद्दी होती है जैसे हो जंगली झाड़ी
नवम्बर में हुआ था मंदा हज्जामों का धंधा
इस दाढ़ी से चलती है उनके जीवन की गाड़ी-
एक तुझे ही मेरे भीतर बचाने की ज़िद में सनम
मैं और मुझ जैसे कई शख़्स मर गए हैं मुझमें!-
वो घर से न निकले तो मै गली से न निकलुँ
मियाँ, इस दर्जे का जिद्दी आशिक हुआ हूं।-
" जिद्दी "
मैंने अपनी जिद्द छोड़ दी...अब मैं जिद्द नही करती,
तुम हमेशा मुझे कहते थे न, मेरा मन बच्चों-सा है,
मैं बहुत जिद्दी हूँ,
हद से ज्यादा...,,
तुम भी तो मेरी जिद्द ही थे न, हाँ! साथ में प्यार और एक बुरी आदत भी,
जिसे मैं पा लेना चाहती थी,किसी भी हद में...,,
लेकिन देखो न.....
तुम्हारे होने या न होने से, अब मुझे उतना फर्क नहीं पड़ता है,
तुम, मेरी.....
एक ऐसी जिद्द थे, जिसे मैं छोड़ चुकी हूँ ,
सदा के लिए...!!-
वजह और भी हैं दुनिया में मुस्कुराने की,
दिल ये जिद्दी इक गम पे ठहर जाता है !!-
संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा
मैं अपने इस दिल में तेरे ही ख़्वाब जगाऊंगा
एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बसजाउंगा
मैं प्यार का प्यासा हूँ तेरे आगोस में मर जाऊंगा-
प्यार(सनम) मेरा जिद्दी है
इश्क(मोहब्बत) मेरा नवाबी है
मिले कभी तो कहूं उससे
कि वो मेरे दिल की रानी-
भूल गये हो वादा क्या?
करता रहूँ तगादा क्या?
कहती थी मैं जिद्दी हूँ
तुम हो मुझसे ज्यादा क्या?-
तेरी आँखों ने मुझको तेरा दीवाना बना दिया
एक छोटे से पल ने मेरा सब कुछ भुला दिया
मैं तो अनजान था प्यार मोहब्बत से पर तूने
मेरे सोये हुए दिल में आज प्यार जगा दिया
कल रात बड़े आराम से सोया था मैं पर तेरी
आँखों ने मुझे ख्वाबों में आकर सता दिया
अब हर पल तू ही तू नज़र आती है मुझको
रब जाने तूने ऐसा कौन सा जादू चला दिया
मैं कहीं भी जाने ना दूंगा जीवन भर तुझको
पगली मैंने तो तुझे अपने दिल में बसा लिया
अब तू भले ही मुझे अजनबी क्यों ना समझे
मेरी जान "सुमित" ने तुझे अपना बना लिया-
मुज़ मे और मेरी किस्मत में हरबार यही जंग है....
मै उसके फैसलों से तंग हूँ और
वो मेरे हौसले से !!!
-