मैं तुझे जानू,
और कितना जानू?
चर्चे हैं तुम्हारे मोहल्ले में,
तुम हो बहुतों के जानू !
खैर एक बात खास है तुझ में,
जिसने भी कहा, तुम हो उसके जानू!
और एक बात जाननी है मुझे,
इसके पीछे क्या वजह है जानू?-
जताने ना दो कहीं कल को, तुम मुझे हक खुद पर
जितना जताया करता हूं मेरी जान, जता लेने दिया करो-
मुमकिन ही नहीं होता मेरा रास्ता तय कर पाना कभी,
ऊपर सीना नीचे जानू बीच में है कब्र मेरा।-
पड़ोस वाली मोहब्बत बहुत भारी पड़ जाती है कभी-कभी,
जो जानू बुलाती होगी, उस का बच्चा मामू बुलाने लगता है।
🤣🤣🤣-
यूँ ही कभी-कभी ये
ख़्याल आता है।।
मन मेरे गहरा
एक सवाल आता है।।
की कयों लड़कियाँ पहले जानू
फिर मामू बना देती है।
शादी के बाद वो अपना
जानू भुला देती है।
मौका मिला तो पुछूँगा
उनसे ये सवाल।
क्या अब भी नाम से मेरे
गालो पर उनके जमाल आता है।।-
समय मिला है आज जो थोड़ा,
सोचा ख़ुद को जान लूं।
समय मिला आज थोड़ा
सोचा खुद को जान लू।
हूँ मैं अंदर और बाहर क्या
इस बात को में मान लूं,
समय मिला है आज जो थोड़ा.....
गुज़रिशे बहुत की दुनिया से
गुजारिशे भी थी कुछ जिनकी
खुशियां भी है क़ीमती उनकी
दुनियांदारी थी कुछ जिनकी,
आज थोड़ा समझ के ख़ुदको
करना क्या अब ठान लूं
उम्मीदे रखूं में ख़ुदसे
ख़ुदको खुदका मान लूं।
समय मिला है आज जो थोड़ा...
डगर कहाँ जाना कहाँ
बात को पेहचान लूं।
मिले जो साथी इन राहों में
हमराही न मान लूं।
समय मिला है आज जो थोड़ा......
भटक रहा जाने कहाँ में
क्यों न ख़ुदको थाम लूं
चलदु थोड़ा फिर रुककर में
उम्मीदों को नाम दूं।
समय मिला है आज जो थोड़ा सोचा ख़ुदको जान लूं।।-
और कुछ तो नहीं
विदा लेने से पहले इसलिए
तुम्हारे नयन से मिले
तुम्हारे सुर में गाए, ये गान रख जाऊं!!
वर्षा बन के तुम आकाश भर से
ह्रदय मरू में जब गिरते हो झड़ के
सरस कर के मुझे, जो फ़ूल खिलाया भोर में
ये माला उसी के लिए रख जाऊं!!— % &-
कहती तो है जानू तू मुझे
एक मुलाकात और फ़ोन पर करके बात
शायद अछे से मुझे
अभ तक जानती भी नही...-
ना मै जानू थी ना मै बाबू थी तुम्हारी
मै तो खुद ही में खोई हुई थी
जो तुझसे जुड़ी थी-