अपनी डालियों से टूट कर
मेरे जनाजे पर बिखर गया
उसने मेरी मौत देख गम में पूछा
ये किसका मेहबूब है जो,
यूं खुद को खत्म कर गया
फूल ने मेरी हालत देख कहा
वाह रें खुदा ये कैसा अंजाम दिया इश्क़ में
ये आशिक़ यूं क्यों लिपट गया कफ़न में
इश्क़ ही तो किया था बस इसने
और कोई गलती नहीं किया
तब खुदा ने कहा उस फूल से
ये इश्क़ ही तो है जो इसकी मौत
कि वजह बन गया...-
"ऐसे छुपने की ज़रूरत नहीं तुमको,
मेरी कोई क्या हसरत नहीं तुमको,
मेरी साँसें जैसे ग़ुलाम हो तेरी,
मुझे मार कर भी राहत नहीं तुमको..
मेरा जनाज़े पर तुम जश्न मनाना,
मेरे आँसू कभी लानत नहीं तुमको..
तुम्हारी गलियों से दूर जा रहा मैं,
मेरा मरकर भी तोहमत नहीं तुमको..
मुझे तो तुम्हारी मोह्ब्बत चाहिए थी,
मुझसे क्या मोह्ब्बत नहीं तुमको........."-
जनाजा मेरा उठ रहा था
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी
और कितनी देर है दफनाने में !-
रोको रोको मेरा जनाजा
मुझमें जान आ रही हैं,
छोड़ दो मुझे उस राह पर
जिस राह से मेरी जान आ रही हैं।-
ना घर है ना ठिकाना ,इस ठिकुरती ठंड में ढूंढे आशियाना
हाय रे गरीबी महलों के सामने रोड पर सो जाना
पूस की रात, उस पर ओलो की बरसात ,
कैसे निकली जान , ना सोचे जमाना
सुबह सुबह देखें मेरा जनाजा ,कोई ना पूछे किसका है जनाजा
कफ़न की बात छोड़ों, हटाओ जिसका भी हो जनाजा
कब्र की बात छोड़ो , जनाजे की कीमत आज है जाना
प्रयोगशाला में बेच दिया मेरा जनाजा, हाय रे जमाना
हाय रे जमाना-
इतना जल्दी ना सजाओ जनाज़ा हमारा
कुछ साँसें बाकी है
तोड़ देंगे दम उसे एक नज़र देख
कर उसे देखने की एक आस अभी बाकी हैं-
जनाज़ा उठा है बड़ी बेरहमी से मेरी मोहब्बत का आज,
कांधा देने को मेरी धडकनें भी मुकर गई।-
जाती है तो जा जनाजा मेरा भी लेती जा
ओ मेरी मोहब्बत ,बेजान शरीर को छोड़कर ना जा-
उसके डोली के साथ, मेरा जनाजा भी लेते जाना
बस है गुजारिश इतना, जाते जाते मेरा हस्र दिखाते जाना
बेवफाई उसकी, सजा मुझको बताते जाना
ख्वाहिश थी इतनी, जाते जाते जनाजे को बेवफा का मुखड़ा दिखाते जाना
खुश रह सदा, ऐसे ही रहे तेरी अदा , ये दुआएं भी उसको देते जाना
जाते जाते उसका मुखड़ा दिखाते जाना
हो किसी की, कहलाएगी मेरी मोहब्बत बताते जाना-
जाना है लेके जनाजा पड़ोस के दद्दू गुजर गए
सुना है दद्दू दादी के गम में गुजर गए
खा ले खाना अभी है देर ,
मिट्टी में होगी देर ,
चाचा ,बुआ है रास्ते में अभी होगी उनको देर
अा गई बुआ चीखते चिल्लाते आंखों में आसूं चाचा को है अभी देर
पूरी है तैयारी संग है लडडू और मिठाई
शमशान पे मिट्टी के बाद है जलपान,
उसके बाद है सबकी विदाई
चल छोटू तू भी चल बाजा और पटाखा संग है दद्दू की विदाई
।। अनिल प्रयागराज वाला ।।-