QUOTES ON #चिडिया

#चिडिया quotes

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11 AUG 2017 AT 22:23

केसर
चमन में खिले गुलाब सी नाजूक थी वह
कोमल तन और मृदुल मन की देन थी उसे
अंगने की चहकती चिड़िया हो जैसे कोई
केसरिया रंग बड़ा ही प्यारा था उसे
शायद उसकी चाहत की बदौलत, केसरिया में बडी जल्द ही सज गई वह
वह केसरिया जोड़ा शादी का, माथे पर सजा केसरिया सिंदूर, केसरिया चुडियां,उनकी खनक और साथ में केसरिया हुई केसर के गालों पर शर्मोहया की लालिमा....
हाय!! क्या वह रूप उस सयानी चिड़ियारानी का
केसरिया गेंदाफूल की मखमली पंखुड़ियों पर सिंदूर से सजे केसरिया पांव लेकर गृहलक्ष्मी ही आई थी
ढेर सारा दहेज भी तो लाई थी लाचारी में
मिष्ठान में घुली केसर की तरह घुलमिल गई वह भी
रंग दिया ससुराल का आंगन खुशियों से
अपनेपन की सोंधी सोंधी खुशबू के साथ
पर अपना रंग और अपनी खुशबू भुलाकर
वह बदन पर हुए ताजे जख्म के केसरिया निशान
वक्त के साथ काले पड़ रहे थे
इस बात को बारबार याद करवाने के लिए वह भी बसेरा बना गए उसके दिलोजान मे
सच ही हैं....
केसर सी है औरत
उसकी जरा सी मौजूदगी फिर वह मां बहन बिटिया बहू हो,घोल देती है जिंदगी में रंगत...
लाती हैं एक सुख भरा कुछ शाही एहसास
पर दोनों की महज कीमत में फर्क है
सिर्फ कीमत में....

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6 MAY 2017 AT 21:50

वह चिडिया भी कितनी थी नादान....
जिसका हर पल उनका खयाल रखते गुजर गया...
जिसका हर लम्हा उनकी परवरिश मे बीता..
जिसनें पूरी ज़िंदगी उनपर न्योछावर कर दी..
आज उसी चिडिया के बच्चे अपने पैरों पर खडे होने के पश्चात
उसे छोड़ कर चल दिये एक क्षण मे..
अपना बसेरा बसाने के लिए..
फिर से यही कहानी उनके साथ दोहराने के लिए..



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15 JAN 2020 AT 23:32

क्यूं ना मैं एक चिड़िया बन जाऊं
जहां चाहूं वहां उड़ जाऊं
रब के दिये पंखों को फैलाऊ
उस ऊंचे गगंन को चूम आऊ
देखें हैं ख्वाव इन आंखों में
उन्हें खुल के जी आऊ ।।

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15 JAN 2020 AT 20:01

एक चिड़िया जैसी हूं मैं,
जो उड़ना चाहती हैं।
जो दिये हैं रब ने पंख,
उन्हें खोलना चाहती हूं मैं।
उस ऊंचे गगंन को चूमना चाहती हूं मैं।
जो बुने हैं ख्वाव इन आंखों में,
उन्हें खुल के जीना चाहती हूं मैं।
एक चिड़िया जैसी हूं मैं,
जो उड़ना चाहती हैं....।।

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2 APR 2020 AT 7:08

दो नज़्में खेल रही थी
सूरज की रोशनी से वो
चमक रही थी
सुरुली आवाज से अपने
वो चेहक रही थी
ध्यान गया एक लेखक
का उसपर
अब वे पन्नो में सिमट रही थी

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22 MAY 2021 AT 18:29

कहानी है एक चिडिया की
कैसे वो पंख फडफडाईथी
"पंख है मेरे पास भी "
पहले समज नही पाई थी ।

(full poem in caption)






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4 NOV 2017 AT 21:13

बड़ी अजीब बात है...
चिड़िया हवा में उड़ती हुई अच्छी लगती है,
और आत्मा पिंजरे में कैद...

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25 AUG 2020 AT 22:02

जब चिडिया टहनी पर
बैठ, विह्वल चहचाती है
जब भीनी भीनी खुशबू से
हवा चमन महकाती है
जब मूक संदेशा पाते हीं
क्यूँ तेरी याद सताती है ॥
तब आंखों से मेरी रुक
थम कर निर्झर मेह बरसती है ॥





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18 MAY 2020 AT 20:05

इंसान उड़ना चाहता पर उड़ ना पाता

आज मैं हवा में बैठी, थोड़ा वक्त खुद के लिए निकाला,
चिड़िया को देखा रंग था उसका निराला,
कभी चहचहाती तो कभी पंख लेहराती,
आसमान में उड़ती, और आगे जाने के लिए हवा से लड़ती,
उसको देख एक बात समझ आई, चिड़िया थी तभी इतना ऊंचा उड़ पाई,
इन्सान होता तो कैसे उड़ पाता,
क्योंकि इन्सान तो किसी को उड़ता देख उसको गिराने में लग जाता!!!

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23 JAN 2020 AT 9:51

चिड़ियों की चचहाहट कोई गीत गा रही है
सर्द मौसम की हवाएं कोई संदेशा ला रहीं हैं
मेरी वीरान गलियों से ऐसा कौन गुजर गया
जो ये गलियां भी खुशी से मुस्कुरा रहीं हैं
बादल भी लग रहे हैं सुहावने आज तो
नई सुबह खुशियों की रोशन बिछा रही है
महक रहा है आज सारा आंगन सुगंध से
पौधे की कलियां भी नए गुल खिला रहीं हैं
जाने किस बात का जश्न है चारों तरफ
यही बात इस दिल में हलचल मचा रही है।

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