अक्सर मैं तेरे प्यार के नग़मे गुनगुनाता हूँ।
होंठ मुस्कुराते है जब चाय का कप उठाता हूँ....-
तुम हाय सी लगी हो , एक चाय 'ज़िन्दगी'
चढ़के जो उतर जाए , तुम ऐसी तलब नही-
सुनो न...
कुछ ऐसे हुई थी हमारे इश्क़ की शुरूवात
उनके लबों पर थी चाय की मिठास..
और मेरे लबों पर उनके होंठो की एहसास
❤️❤️❤️
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तुम चाय मेरी प्याली , मैं हक़ से उतर जाऊ
तुम चाहो मुझे जैसा , बन वैसा खुदा जाऊ-
चाय की मिठास
'मीठी' है
'प्रेम' की तरह
'सस्ती' हुई है चीनी
या फिर.. तुम्हारा कुछ
'असर' है इसमें...
सोचकर पीता हूँ
तुम्हे अक्सर...
चाय के साथ
की कुछ 'कम' नही
थोड़ा भी 'असर'
होने देते है मुझपर
ये 'ख्याल' तुम्हारे
तुम्हारी 'मौजूदगी' का-
हर सुबह की होने वाली शाम
सूर्य की नम होती गर्मी,
और साथ में कड़क
चाय की प्याली हो तुम
नीला आसमां और घनघोर घटाये,
छम छम बरसती बारिश में
बादलों के बीच ,मुस्कुराती
धूप से हो तुम
मुद्दतों से प्यासा बंजर रेगिस्तान
और हिरण की मृगतृष्णा को
मयस्सर पानी की
अनमोल बूंदें हो तुम
ब्रह्माण्ड़ में घूमते न जाने
कितने ग्रह और केन्द्र में सुर्य,
जैसे उनके अस्तित्व
का एकमात्र सहारा हो तुम
'कोरे कागज़' सा कोई पन्ना
जिस पर इतिहास लिखा जाना है
उस प्रेमपूर्ण चाहत की
लिखावट की स्याही हो तुम।।-
चाय से इश्क़... और...
तुमसे मोहब्बत करते है |
लबों से चाय को लगाके,
हम तेरा दीदार करते है ||
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ठंडी ठंडी सुबह में
एक चाय की प्याली हो
रात गुजार दूं यादों में
सुबह चाय पीलाने वाली हो.....!-
वो सिर्फ फूल देती,
तो मना भी कर देता.
फहीम...
उसने फूल भी दिए तो, चाय पर बुलाकर.
दुआ करना इस बार, मोहब्बत सच्ची निकले,
हम दिल का सौदा कर बैठें, इस बार चाय के नाम पर.-
अर्ज़ है...
जो वक्त के साथ बदल जाए वो राय होती है
जब कुछ न हो जिन्दगी में तो चाय होती है...
😛😂😆😍-