जहाँ भर का नज़ारा कर लिया है
मगर सबसे किनारा कर लिया है।।-
ना साथी ना बंधु , ना कोई सहायक ,
अपने जीवन के चलचित्र का तू ही बस नायक ।-
चल अकेला.......
इस जँहा में मैं अकेला,
मौत और जीवन अकेला,
है यँहा बहुतों को देखा,
और सुना कहते हुए,
चाहने वाले बहुत है,
पर गए वो भी अकेले।
और दिखे कुछ मस्तमौला,
जो चले बिल्कुल अकेला।
जानते थे इस बात को वो,
साथ कोई क्या दे पायेगा,
मंजिल तक साथ न जा पायेगा।
जिंदगी की राह में,
वो क्या साथ निभाएगा।
वो इस बात को हैं जानते,
बस वो अपनी मंज़िल को है भाँपते
और निकल पड़ते है राह मापते।
इस जीवन समर में,
तू भी चला चल अकेला।
राह में मुश्किल मिलेगी,
हमसफर बनने के ख़ातिर।
तो उसे भी साथ लेकर,
राह पर चलते चला जा।
साथ वो भी ना दे सकेगी,
फिर भी चला जा तू अकेला
इस जँहा में मैं अकेला,
मौत और जीवन अकेला।-
इक दिन तुम भी समझोगे जीवन की पहेली,
होगी हिम्मत अकेले चलने की संग न कोई सहेली।-
न अगले पल का पता न आने वाले कल का
न साँसों पे है मेरा दावा, शरीर है मात्र पहनावा
जब तक संग चलना लिखा है तब तक संग चलो
कैसे और क्यूँ कहूँ की हर पल मेरे साथ रहो?-
हजारों मील लम्बें रास्तें तुझकों बुलातें..
यहाँ दुखड़े सहनें के वास्तें तुझकों बुलातें..
हैं कौन सा वो इन्सान यहाँ पर जिसनें दुःख ना झेला..
चल अकेला.. चल अकेला.. चल अकेला
तेरा मेला पीछें छूटा राही चल अकेला..💓-
ढल जाएगी ये रात भी,
यूं हौले से कहीं,
किसी चांदनी तले,
पर कैसे ढलेगी वो रात,
जो ज़हन में हर वक्त,
ज़हन को डुबो रही है,
खुद में।-