उतर जाने दे तेरे प्यार को रूह में
घायल तो दिल आज भी हैं ,
दारारों सी उभरी हैं लकीरें जिस्म पर
क़ातिल तो हर सांस में हैं |
ना होगा तु रिहा
जब तक नफ़रत की आग इस आँख में हैं ,
बूंद-बूंद के लिए तरसी हूं मैं
अब तो तलाश सिर्फ़ अपने आप की हैं |-
वो ज़ुल्फ़ों का आँचल मोहब्बत से पहले
किया मुझको घायल मोहब्बत से पहले
मेरे दिल में कुछ-कुछ लगातार होता
बजी उसकी पायल मोहब्बत से पहले
वो क़ातिल अदाएँ निगाहें नशीली
हुआ हूँ मैं पागल मोहब्बत से पहले
वो आँखों का काजल बनाए दीवाना
दिखे वो मुसलसल मोहब्बत से पहले
जो 'आरिफ़' के दिल पर है ढाए क़यामत
ये ज़ुल्फ़ों का बादल मोहब्बत से पहले-
ना किया करो श्रृंगार
ऐसे ही अच्छी लगती हो
अपनी अदाओं से
सब को घायल करती हो-
तुमपर मरकर भी जिंदा है उसके लिए इनाम रख दो
मुझे घुरने से पहले आँखों में काजल रख दो
ये खनखन का शौर किसी और को ना भा जाए
ऐसा करो अलमारी में कहीं छुपाकर पायल रख दो
मौत आती है तो कौन रखता है नजदीकियाँ जानी
अगर हो जाऊँ घायल तोअपनी झोली में घायल ही रख दो
मेरी मौत पर ज्यादा ख़र्चा करने की कोई जरूरत नहीं
पुराना ही सही मेरे बदन पर तुम्हारा आँचल रख दो
तुम्हारी खुशी ही सबकुछ है मेरे लिए हो कभी ग़म तो
बेशक मेरी आँखों में तुम्हारी आँखों के सजल रख दो
तुझे देखने के बाद ऐसा लगा जिंदगी जिनी चाहिए
इश्क़-ए-जाम पियो और सात जन्म बेनाम को क़ायल रख दो
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जब से देखा है तुझे
तेरी चाहत में पागल हुए हैं
तुझे देख कर कितने दिवाने
तुझे पाने के लिए घायल हुए हैं।-
उन्होंने कहा...तुम खूबसूरत नहीं हो,
मैं कहती हूँ...
चलो आपको हमारी बदसूरती ने ही,
यूँ! हमारे इश्क़ में पागल और एक नज़र में ही,
घायल कर गया !!-
हमारी अदा के दिवाने वो आज भी हैं
क्या करे..हमारे इश्क ने उन्हें इस कदर घायल जो किया है-
ख्वाईशों से भरा एक परिन्दा हूँ मैं,
उम्मीदों से ही घायल और उम्मीदों पर ही ज़िन्दा हूँ मैं..!!-
दोनों ने,
गलत को गलत नहीं...
एक-दूसरे को गलत समझा,
और इस गलती में...
घायल..
बेचारा रिश्ता हो गया।।-