संभाल कर रखे है,चाहतों के सुनहरे मोती मैनें,
एहसास के धागों में तुम संग,पिरोना अभी बाकी है।
चलते है ये जमीं , ये आसमां , हर पल साथ मेरे,
हाथ पकड़कर तुम संग ,चलना अभी बाकी है।
दर्द लेकर सिमट गये , मौजूदगी की आरज़ू में,
ख़ुशियों की किताब तुम संग,पढ़ना अभी बाकी है।
बयां न कर सकी ज़ुबाँ , तारीखें यूं ही मिट गई,
मेरी क़लम से तमाम जज़्बातों का,लिखना अभी बाकी है।
हर सवाल में कैद हूं,रिहा होने की ख़्वाहिश भी नहीं,
हर एक जबाब तुम संग , ढ़ूढ़ना अभी बाकी है।
सुकून की तलाश, हर लम्हें में सब्र को साथ ले आई,
इश्क का दुआ बनकर,मुकम्मल होना अभी बाकी है।
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