भूली बिसरी गलियाँ वो शिकन सी है चेहरों पर
भुला न सके रंगरलियां वो कहाँ गये सब दिल दिरया वो
अक्सर ख्वाबों में आती सच्ची आशक़ी थी वही
चंचल, शोख, खुशियां वो मुरझाई न कभी कलियाँ वो
बचपन अनूठा, मतवाला अफ़सोस,गीले शिकवे है
अल्हड़ सी अठखेलियाँ वो कहाँ है अश्को की नदियां वो
चूड़ी,काँच,कागज़,मोरपंख उम्र ख़ाक गुज़ारी है,'राज',
कैसी अजब निशानियां वो चंद सालो में गुज़री सदियाँ वो
पढ़ा, सीखा जो,भूल गया Dr Rajnish
भूलती नही कहानियां वो Raj4ever
कौन किससे मिलता अब
खो गई यारो की झप्पियाँ वो
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