QUOTES ON #गलियाँ

#गलियाँ quotes

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19 OCT 2020 AT 10:57

खो कर मैने,
हैं पाया तुझको..
खुद तनहा हो कर,
संभाला है तूने मुझको..
मत खोजा कर,
इन सुनसान गलियो मे मुझे...
क्युकी, तेरे प्यार की प्यास ने,
फिरसे तेरी तरफ खिचा हैं मुझे....

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23 MAR 2020 AT 19:03

लगता है बेनाम
किसी आशिक़ की दुआ क़बूल की है खुदा ने
सारे जहाँ की गलियाँ सुनसान कर दी खुदा ने

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23 JUL 2020 AT 18:06

अब तो हम उस गलियों में भी जाते है ,
जहां न मेरा आना जाना था ,
क्या करू उसी गलियों में जो उसका ठिकाना था ।
🛣️🚶🚶‍♀️

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6 FEB 2021 AT 20:13

मैं बदनाम हुआ बार-बार उसकी
मोहब्बत की गलियों में जाकर ।।
पर कुछ गुनाह उन्होंने भी किए थे
हर दफा छत से छुप छुप कर झांककर ।।

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9 FEB 2019 AT 7:23

गर कहने के लिये ही कहा करते हो, तो जानां रहने दो,
उन गलियों को भी जाना, रहना जहाँ तुम्हें है नही ।।

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4 APR 2019 AT 16:11

भूली बिसरी गलियाँ वो शिकन सी है चेहरों पर
भुला न सके रंगरलियां वो कहाँ गये सब दिल दिरया वो

अक्सर ख्वाबों में आती सच्ची आशक़ी थी वही
चंचल, शोख, खुशियां वो मुरझाई न कभी कलियाँ वो

बचपन अनूठा, मतवाला अफ़सोस,गीले शिकवे है
अल्हड़ सी अठखेलियाँ वो कहाँ है अश्को की नदियां वो

चूड़ी,काँच,कागज़,मोरपंख उम्र ख़ाक गुज़ारी है,'राज',
कैसी अजब निशानियां वो चंद सालो में गुज़री सदियाँ वो

पढ़ा, सीखा जो,भूल गया Dr Rajnish
भूलती नही कहानियां वो Raj4ever

कौन किससे मिलता अब
खो गई यारो की झप्पियाँ वो

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25 MAR 2023 AT 6:10

रास्ते याद नहीं राहनुमा याद नहीं
अब मुझे कुछ तेरी गलियों के सिवा याद
नहीं

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18 OCT 2019 AT 20:32

हमें भी जाने से रोक दिया और आप भी नहीं आता
जो पूरे मोहल्ले की गलियाँ सुनसान कर गया
जिसे खिड़की से झाँक कर जान में जान आती थी
वो शख़्स इस तन को बेजान कर गया
वो ना जाने किस शहर के आलीशान बँगले में हैं
जो इस दिल की बस्ती में कच्चा मकान कर गया
रद्दी के भाव सी कीमत नहीं समझी जिसकी
ये महँगी ज़िंदगी जिसके पीछे क़ुर्बान कर गया

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4 APR 2019 AT 19:53

मै आज भी घूमा करती हूँ
उन भूली बिसरी गलियाँ में,
तेरी खुशबू ढूँढा करती हूँ
इन नन्हीं-नन्हीं कलियों में,
बढे जतन से मैंने संभाली है
वो सब चीजें जो तेरी थीं,
जिनको देखकर तुम खिल जाते थे
जो चीजें तुमको प्यारी थीं,
तेरी नन्हीं सवारी आज भी है
तेरी प्यारी साइकिल पास ही है,
तुम बैठकर जब गिर जाते थे
पूरे घर को सर पे उठाते थे,
है याद कि कैसे सीखा था
मै हरदम तेरे पीछे थी,
अब याद बहुत तुम आते हो
क्या पास मुझे तुम पाते हो,
बचपन की धुधंली यादें अब भी हैं
इन भूली-बिसरी गलियों में...!

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4 APR 2019 AT 16:27

भूली बिसरी गलियाँ

बाबा आप बहुत याद आते हो
भले ही आपका चेहरा न याद हो
लेकिन उन गलियों में जो आज भी है
आपके साथ बिताये मेरे बचपन के पलों
की यादें है कि बिसरती ही नही है
उन से गुजरते हुए मानो आज भी
आपके सिक्कों से भरे थैले की
जनझनाहट की मधुर आवाज
और फिर उन सिक्कों को लेकर
आपके पढ़ाये गए वो मज़ेदार पाठ
ज़िन्दगी के घोर निराशा वाले पल में भी
मन को प्रफुल्लित कर होंठो पर
एक लंबी मुस्कान का संचार कर देते है
बाबा ये आपका आशीर्वाद ही है जो
उन भूली बिसरी गलियों की सीख
आज भी मेरा मार्गदर्शन कर रही है।

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