ग़रीबी😥😢😥😢
सो जाते हैं वो कही भी क्युकी सब के पास मक्मल के बित्तर नहीं होते,
हम तो रोटी पैक देते हो थोड़ी खूसी होने पर जाकर उनके पूछो जिनको रोटी कभी नसीब नहीं होते,
हम तो बेवशी का आलम रोते रोज है जमाने के सामने पर उनके आंखो में कभी आशु नहीं आते,
हमें खाना अच्छा न लगे तो खाना छोड़ देते पर वो तो मिटी में भी स्वाद धुंड लेते,
हम अगर किसी चीज की ज़िद करे और न मिले तो मां बाप हमसे प्यार नहीं करते,
उनको तो बस रोटी की आस होती है मां बाप से और वो न मिले उने तो क्या बोले ये भी नहीं समझ पाते....
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