लोकतंत्र में सबकुछ चलता है
स्वयं को किसान बोलकर आतंकवादी आंदोलन करता है
शरजील इमाम जैसों की रिहाई के लगते हैं नारें
हारे हुए लोग आतंकियों के साथ मिलकर बताते हैं कानून काले
लोकतंत्र में सबकुछ चलता है
राजधानी में कानून लागू कराकर आंदोलन को प्रोत्साहन दिया जाता है
अपने ही वचनों को जब दूसरा पूरा करे तो विरोध होता है
सत्ता हाथ से जाना खलता है
लोकतंत्र में सबकुछ चलता है।-
" अगर सिक्ख तालुकात रखते हैं खालिस्तान से
तो जनाब आपको दिक्कत क्या है खालिस्तान देने में
वैसे भी आप अपने देश में तो हमारी सुनोगे नहीं
सच है बहुत लोगों को कड़वा लगेगा "-
जब तक साथ खड़े थे उसके
वो 'बलिदानी' कहता था
आज खिलाफ जो खड़े हुए
वो 'खालिस्तानी' कहता है-
ये जो सुरक्षा में खड़े जवान हैं
इनके बाप, भाई भी किसान हैं
राष्ट्र के लिए हथेली पर लिए प्राण हैं
हमारे और आप की आन बान शान हैं
इन पर जो हमला करे
भला वो कैसे हो सकते किसान हैं
इन किसानों के बीच में
छुपा हुआ दंगाई #खालिस्तान है...-
मैं सरहदों में बैठकर जो कर रहा हूँ।
मैं ज़िंदा होके जीतेजी जो मर रहा हूँ।
मैं हूँ वही ज़मी का सीना फाड़ता हूँ।
मैं हूँ वही जो देश पूरा पालता हूँ।
वो कहता है मैं गैर और बेईमान हूँ।
पाकीस्तां या की कोई खालिस्तान हूँ।
मैं देश का किसान हूँ,हाँ!मैं देश का किसान हूँ।
मैं हूँ वही जो दौड़ता,रगों में हिंदुस्तान की
मैं हूँ वही जो जोड़ता,किस्म हर ईमान की।
मैं तो वही हर,कौम जिसको मानती है बेसबब
मैं तो वही हर,ज़ात जिसको जानती है बेसबब।
मैं शून्य हूँ,मैं हूँ शतक मैं ही सकल ब्रह्मांड हूँ।
मैं देश का किसान हूँ,हाँ!देश का किसान हूँ।-
अर्ज किया है कि___
तेरे शहर की आबोहवा बेईमान बन गई है
सुना है
आजकल शाहीनबाग की लोमड़ीयां
किसान बन गई है🤪🤣
काले___-
दीवारों पर खालिस्तान छोड़कर,
नीचे जब हमने अपना नाम लिखा!
तब गुबार ए इश्क़ हमे इल्म हुआ,
कि साहिब की पसंद हमसे जुदा नहीं!-