चाय के बदलते रंग में,
मैंने सदा तुमको पाया है,
वो सादे पानी में पत्ती की रंगत,
सोंधी पहाड़ों की खुशबू,
तुम्हारे सी मिठास का मिल जाना,
तुम्हारे स्वभाव सा चाय का रंग बदलना,
इलायची और अदरक सी तुम्हारी खुबिया,
सर्द हवाओं के बीच तुम्हारी गरमाहट, और
औटना जब तक की असल रंगत न निखरे,
ये तुम ही हो जो मुझ प्याले में समा जाती हो,-
वक्त जब हमारा होगा यही तारे आसमां में... read more
खुद को आईने में कहाँ गौर से तलाश कर पाता हूँ
जब भी गौर से देखता हूँ कोई अजनबी ही दिखता है!-
मैं शरद हो जाऊं,
तुम मेरी पूर्णिमा हो जाना,
घने काले मेघों के मध्य,
प्रेम शाश्वत हो अपना!!!-
तू बहुत थक गई है, जिंदगी
मुझमें चलते चलते,
आ बैठ थोड़ी थकान उतार लें!!!-
तुम मेरी सांसों की रवानगी हो,
वक्त हो तो पास आकर धड़कने सुन लो,
लम्हों में समेट रखा है हमने जिंदगी को,
लम्हों का हिसाब क्या लेना जिंदगी मांग लो,-
मुझे ना तारो मेरे मोहन
मुझे चाह नहीं अब तरने की
तुमसे प्रीत लगी मेरी जन्मों की
मुझे ना दूर करो मेरे मोहन
यह रास तुम्हारी लीला है
इस लीला में तीनो लोक बसे
मति मूड ना हम तरना चाहे
इस भक्ति में तीनो लोक बसे
मुझे ना तारो मेरे मोहन
मुझे चाह नहीं अब तरने की-
मेरी चोट से तुम सिहर जाती हो,
प्यार के मलहम से उसे सुखाती हो,
दर्द होता है जब मुझको,
उस दर्द से तुम करांझती हो,
तुम माँ हो बच्चों के दर्द में रोती हो,
खुशियों पर आँखें नम कर लेती हो,
किस मिट्टी की बनी हो,
बिना कुछ मांगे जिंदगी गुजार देती हो,
सब कुछ लुटा कर हंस लेती हो!
माँ तुम किस मिट्टी की बनी हो!!!
माँ तुम किस मिट्टी की बनी हो!!!-
बेताल सुरों को ताल में ला,
सात सुरों को अन्तः से गा,
कब तक बेराग सुरों पर नाचेगा,
जीवन के सुरताल से ताल मिला!
कुमलाई धूप में क्या चलना,
आनंद है तप के निखरने में,
हर राह में पुष्प कहाँ मिलते हैं,
शूलों पर नंगे पांव गुजरना है!
.............शेष कैप्शन!-
तू रहे न रहे वहाँ,
तेरी गलियों से,
गुजरने की आदत हो गई है,
शिकायतें खुद से है,
नाराजी तुझसे हो गई है!-
तुम्हे ओढ़ लूँ,
तुझमें लीन हो जाऊं,
मेरा कोई रंग न हो,
तुम्हारे सारे रंगों को खुद में समेट लूँ,
तुमको जी लूँ जिंदगी के हर पल में,
तुमको ही ओढ़ कर अलविदा कहूँ।-