ख़्वाब वाली बातें हकीकत वाली जमीन पर अपने पाँव सिकोड़ लेती हैं......
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समाज की बंधी बेड़ियों से
खुद को आज़ाद कर रहीं हूँ
आज मैं उन ख्वाबों को
साकार होते देख रही हूँ
दूर कर खुद को उन
निगाहों के खौफ से
आज मैं अपनी मंज़िल के
क़रीब आ खड़ी हूँ
समाज की बेड़ियों से
आज़ाद कर खुद को
आज मैं अपने ख्वाबों की
उड़ान भर रही हूँ-
ख़्वाबों कि दुनियाँ सँजोकर हक़ीक़त से कहाँ तक भाग पाओगे
इन झूठी खुशियों में असली खुशियाँ तुम कहाँ तक ढूँढ पाओगे-
सिर्फ तेरे आ जाने से ही मेरा हर ख्वाब पूरा हो जाता है,
मेरी जान तेरा नाम लिख दूँ तो मिट्टी भी सोना हो जाता है...!!-
हक़ीक़त में बदलने के इरादे से कुछ ख्वाब नए संजोए रही हूँ
ख्वाबो के नगर में मैं एक नए सफ़र पर निकल गयी हूँ-
ज़िंदगी बिखरी सी है
एक ख़्वाब, एक ख़्वाहिश,
और एक तुम थे
जो अब गुम-सूम सी है।-
ज़रा देखो तो.. तुम्हारी आँखों में,
कुछ तो अटका ज़रूर है,
कोई ख़्वाब, कोई ख्वाहिश, या सिर्फ मैं..!-