क्या क्या अभी है बाकी,
इस अंजुमन में दोस्त ,
नफ़रत भी मोहब्बत भी,
तेरे चमन में दोस्त...!
इस ओर सियासत है,
और बेरहम है दोस्त.!
उस ओर अदावत है,
और बस चुभन है दोस्त!
कहते हैं जिसको अच्छा,
वो बदचलन है दोस्त..!
मुझको जो मयस्सर है,
वो बस घुटन है दोस्त.!
माना कि मैं "स्वतंत्र" हूं,
ये आदतन है दोस्त..!
तुम जो भी समझते हो,
वो आकलन है दोस्त..!
सिद्धार्थ मिश्र-
10 NOV 2018 AT 7:30
7 AUG 2020 AT 15:54
गम मुझे हसरत मुझे वहसत मुझे सौदा मुझे
एक दिल देकर ख़ुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे-
28 JUN 2022 AT 16:33
मेरे अल्फ़ाजों में मैं अक्सर,
मेरे जज़्बात सारे लिख बैठता हूं,
मैं जब भी लिखने बैठता हूं,
जाने क्या-क्या लिख बैठता हूं........✍🏼 आनन्द"-
16 MAY 2021 AT 21:17
उसे खबर नही उसने..
क्या क्या छीना हमसे..
भगवान जब तू उससे छीने..
मेरा ख्याल उसे ज़रूर देना...-
25 JUN 2020 AT 13:28
ज़िन्दगी ने सिखा दिया क्या क्या?
क्या थे हम और दिया बना क्या क्या?
दिल हमारा हिसाब रखता है,
खो दिया जो भी हमने, था क्या क्या?
(दिनेश दधीचि)-
27 MAR 2021 AT 23:17
यूं तो तेरी हर बात में स्वाद है,
लेकिन
"मैं क्या-क्या भूल गया हूँ,
मुझे वो भी याद है" ।-
19 MAR 2024 AT 13:43
मैं उसके बारे में क्या-क्या बताऊँ
वो लड़की गुलबदन है,महज़बीं है
उसे बेइंतहा मैं चाहता हूँ
मगर उससे भी प्यारी सरज़मीं है-
16 JUL 2022 AT 9:25
कभी फुरसत में सोचूंगा...
तुम्हे याद रखने में, मैं क्या क्या भूल जाता हूं...-