मेरे हिस्से का कोना
सबके लिए अपने घर अपने दफ्तर , गांव शहर में एक अपने हिस्से का कोना है।
कोना गवाह है
हंसने, रोने, उदासी, उबासी,क्रोध, प्रेम, खुसफुसाने आपके हर भाव का
हम तो हर हाल में अपने कोने से बहुत प्रेम करते हैं
जहां आप भौतिक रूप से आप तो होते हैं
मगर आपका दिमाग प्रकाश की गति को पराजित करके दौड़ता है
दिल के अरमान बारिश के मशरूम से भी ज्यादा बाहर आते हैं
अपने अपने हिस्से के कोने को सहेजिये, सब चले जायेंगे कोना वहीं रहेगा आपके बाद भी
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