प्रेम में हार जाना, जीत जाने से कहीं बेहतर होगा शायद
ये समझने में मुझे कई साल लगे हैं
बर्बाद होने से ठीक पहले, आबाद थे
तुम जिस तलक से मुझे पुकार रहे थे
मुझे कुछ स्पष्ट नज़र नहीं आ रहा था
मैं तुम्हारी ओर सिर्फ इसलिए चल रही थी
कि मुझे तुम्हारी आहट उस दिशा से सुनाई दी
हाथ की मेंहदी के रंग से मैं अब अनुमान लगा लेती हूं
केमिकल भी वो असर छोड़ नही पाते
कई रोज़ से शादी ब्याह के चक्कर काट रही
महसूस कर के कभी हमने भी कोई सपना देखा था
जोड़े देखकर मेरे आंखों में आंसू आ जाते है
क्योंकि नज़र के सामने अब तुम नही आते
कुछ फासले,नजदीकियों से कहीं बढ़कर होते हैं
इसमें समय और दूरी का गणित नही लगाया जाता
आंखो की चमक में कुछ तो अधूरापन है
बांकि हंसने में तो मैं अब भी कमी नहीं करती
हम नहीं छूट जाते गर,
तुम भी मेरी ओर कुछ दूर तो चलते।
एक तरफा भागने से,एक थककर गिर जाता है
और दूसरे तक शायद कभी ख़बर ही नहीं पहुंचती।
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