मुहब्बत के ताले की दो चावियाँ तो थीं
पऱ अफ़सोस...
ना मुझसे ख़ुला... ना तुझसे ख़ुला!!-
20 DEC 2020 AT 19:11
10 DEC 2019 AT 0:33
आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”,
भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी।-
11 MAY 2020 AT 12:05
वो है मनमोहिनी
मधु काया सी
वह है रूबी ( मानेक)
ना है कोई छलावा सी
निश्चल है उसका प्यार
वो है जगत जननी
जगदंबा का अवतार
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26 JUL 2020 AT 16:33
"जब मैंने तुम्हें जाने पर मजबूर कर दिया
पर फिर भी तुम मेरे खिलाफ मेरे लिए खड़ी रही...."
मीरा बैरागी
बातचीत के कुछ अंश
(अनुशीर्षक )-
30 APR 2021 AT 4:39
मेरे तो दर्द भी
औरों के काम आते हैं
मैं रो पडूँ तो
कई लोग मुस्कुराते हैं
—Keshav Sharma-
5 JAN 2020 AT 15:02
किसी को समय नहीं,
किसी से बात के लिए,
सब लगे हैं अपनी-अपनी,
जिंदगी की तलाश के लिए,
भूल से अगर मिल जाए,
किसी महफिल आगाज के लिए,
बस यही तराना गुनगुना होता है;
हम तो रोज याद करते हैं,
आप ही नहीं याद करते,
मुलाकात के लिए.......!!!-
23 NOV 2019 AT 22:49
अंतर्मन कि,
गहराइयों से,
आज वो फिर,
याद आए।
भूल-बिछड़े मन से,
अन्नत कोशिकाओं में,
आज तुम फिर,
नई सौगात लाए।।-