माँ चाहती थी मैं कुर्सी पर ही बैठूँ,
किन्तु छुटपन में मुझे तो केवल
लालसा थी उत्तंग विभिन्न कुर्सियाँ
बनाने की भर की...
छुटपन था,
तब कहाँ पता था कुर्सी का व्यवहार!
कुर्सियाँ अच्छी लगती थीं तब,
किन्तु अब समझती हूँ मैं कुर्सियों का स्वभाव...
इसलिए अब मुझे कुर्सियाँ पसंद नहीं!
चार पायों की ये कुर्सियाँ
व्यक्ति को बहुत नीचे गिरा देती हैं!
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