आजकल रिश्ते दम तोड़ देतें हैं,,
बुरे वक़्त के आने में,
कुछ तो जहर घोल देते हैं,,
एक वक़्त के भी बचे खाने में,
ऊंची इमारतों में रहते हैं जो लोग,
गरीब को दफनकर,
नीचे तहखाने में।
हमदर्द बनते हैं वो लोग,
रहकर शोहरतों के शहर में,
दर्द का कारोबार निकलता है,
उनके ही ठिकाने में।।।।
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