"मेरी माँ"
मत भूलो उसे तुम जग में, जिसने तुमको जन्म दिया ।
वह और नही माँ है तेरी, जो जग में ऐसा कर्म किया।।
पौष माघ के महीने में, जब तुम गिला करता कपड़ा था
कनकनाहट जब लगती माँ को,बन्द पलक खुल जाता था
मत भूलो उसे ……............................................
अमृत पान कराती तुमको, ख़ुद भूखे रह जाती थी।
नींद न आती तुमको जब, माँ गाके लोरी सुनाती थी ।।
मत भूलो उसे.....................................................
उंगली पकड़ कर चलना सिखाई, माँ का तुम दुलार था।
सीने से लगाये रखती तुमको, तुम जग में सबसे प्यारा था।।
मत भूलो उसे…..................................................
फूटा कंठ जब जग में तेरा, माँ का ही तुमने नाम लिया।
भूल गया क्यो इतना जल्दी जब औरत का दामन थाम लिया ।।
मत भूलो उसे .....................................................
पढ़- लिख कर बना बालिस्टर, दूजो के संग न्याय किया
वह पूत नही कपूत जग में, जो माँ के संग अन्याय किया ।।
मत भूलो उसे ....................................................
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