उसने पूछा कि "आप हमेशा कठोरता से बात क्यों करते हो ?
तो मैंने कहा ताकि "तुम मुझसे विनम्रता से बातें न करो और मैं तुम्हारी नम्र बातों में न आ जाऊँ और फिर से उसी अंजाम को न पाऊँ,
जब पता है कि हर कहानी का एक ही अंजाम होने वाला है तो उसे शुरू होने से पहले क्यों न खत्म कर दिया जाए।
"दरअसल बात ये हैं कि हर बार कहानी का अंत सामने वाला ही क्यों लिखे।
अरे थोड़ी-मोड़ी कलम तो हम भी चला लेते है और हाँ हर बार रायमिंग अर्थात तुकबंदी ज़रूरी थोड़ी हैं।
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