कि बेशक उस इश्क से अंजान हैं हम
पर जरूरी तो नहीं कि नादान हैं हम-
इतनी भी तारीफ़े ना किया करो ,
कही ऐसा न हो की ,
तारीफ करते - करते तक़दीर बन जाए ,
ओर उस तकदीर मे हम हो ।
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उस वक्त से पूछो जो
हमारी थी ;
और वह किसी और
के हाथ में थी '
जरा बताओ वह वक्त
हमे कैसा लगता था ?-
#How I Discovered Poetry #
संग-संग बैठी थीं,हम दो सहेलियां
बूझ रहे थे हम,आपस में पहेलियां
बातों बातों में, मैं कर रही थी तुकबंदी
सहेली बोली,कवित्व में तेरी है हुनरमंदी
ऐसे शुरू हुआ मेरा, सफ़र काव्य का
शुक्रगुजार रहूंगी हमेशा,उस सहेली का-
उस शख्स के हालात खुदा ने कभी नही बदले,
ना हो जिसे ख्याल, खुद के हालात बदलने का!!-
मिले थे ऐसे,
नहीं सोचा था जैसे !
जुदा हुए वैसे,
नहीं चाहा था जैसे !-
अब तुम भी उस तारे की तरह हो
जिसे देख सकते है,, चाह सकते है,,
पर पा नहीं सकते ,,💔-
मेरा यूँज करने वाले बहुत लोग मिलेंगे
तालाश तो उस शख्स की है जो मुझसे प्यार करे-
अधिकारों पर लड़ना सीख गए,
कर्तव्य निभाना सीखोगे कब ?
धरती माँ कहना तो तुम सीख गए,
सुत फ़र्ज़ निभाना सीखोगे कब ?
(पूर्ण कविता अनुशीर्षक में)-