मेरी उम्मीद तेरी बेरुखी को सहती गई।
दर्द बढ़ता रहा मोहब्बत बढ़ती गई।-
हमने अपनों की गिनती क्या कम कर दी....
उम्मीदों का दायरा अपनेआप सिमट गया...!-
जिंदगी है तो ख़्वाहिशें होंगी,
ख़्वाहिशें है तो उम्मीदें होंगी,
उम्मीदे है तो निराशाएँ होंगी,
निराशाएँ है तो दर्द तो होगा ही।-
परमात्मा सिर्फ एक है !
वह बनाता हजारों चेहरों को हैं।
कुछ अच्छे कुछ बुरे कुछ प्यारे कुछ नादान
परिंदे सारे उसी के है
हर चीज उन परिंदो की अलग है
कद,सकल,बाते,और समझ......
कुछ हद कड़वा बोलते है।
तो कुछ
हद मीठा
कुछ सच की बुनियाद पर जिंदा है लेकिन कुछ
बस झूठ के लफ्ज फड़ फाड़ते है
कुछ मेहनत करके भी नही कुछ हासिल कर पाते
तो कुछ मुफ्त की रोटियां तोड़ते हैं
बात बस इतनी सी है जनाब
रास्ते अनेक है उस पर चलना तुम्हे है
साथी करोड़ है उनमें से सही चुनना तुम्हे है
रास्ते पर चलते चलते जब थक जाओ ठहर कर उम्मीद बनाना तुम्हे हैं।-
हमने उम्मीदो की गठ्ठरी बांधकर
तेरा हाथ इस कदर थाम लिया
ना कभी कोई उम्मीद टूटेगी
ना कभी यह हाथ छूटेगा
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Ki unhone hame samjha nahi
Dukh is baat ka h ki
Ki hamne unse kuch jada hi umeede
Kar li-
स्वागत है तेरा फिर आज मेरे आंगन में ....
तेरे ही तो सहारे मेरे दिन में रोशनी होती है ....
तुझ से ही उम्मीद है मेरी कि तू कल फिर आएगा ...
और मैं कल फिर उठूंगी...
इक नया जोश एक नई उम्मीद से कुछ नया करने को..
💞🙏
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उम्मीदे और ख्वाहिशे,जब टूटती है।
तो मंजर ख़ौफ़नाक होता है।
जिंदगी दिशाहीन हो जाती है ।
खुद के दर्द,
जख्म खुद सहन,
करने के हुनर होने चाहिए।
उम्मीदे तो सिर्फ तकलीफ देती है।।
({@~my words~@})
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फर्माहीशे
ख्वाहिशे
ख्वाब
ख्याल
बाते
उम्मीदे...
सब अधुरे है
तुम्हारे बिना।।-
उम्मीदे
टूट गई सारी
पर न मानी
कभी हार मैंने
फिर से बढ़ाई मैंने
मंजिल को
पाने के लिए कदम
अपना
अब चाहे कोई दे
न साथ
पर रूकेगे कभी न
किसी हाल में
चाहे रहे हम-