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दिल से पुकारा था, आँखों से भी बुलाया था,
पर दूंगा आज आवाज...फिर देखा जाएगा!
आया था कई बार तेरे दर पर बिना आहट के,
दूंगा दिल पर दस्तक अब...फिर देखा जाएगा!
कितनी ही स्याही जाया की रंगीन कागजों पे,
लिखूंगा आज खत तुम्हे...फिर देखा जाएगा
मिलता हूँ रोज तुमसे तेरे ख़्वाबों ख्यालों में,
करूँगा आज मुलाकात..फिर देखा जाएगा!
देखा तुमको जी भर के और देखा चोरी चोरी,
अब होउँगा तुमसे रूबरु...फिर देखा जाएगा!
हिचक अब बहुत हुई, मेरा सब्र हुआ बेसबर,
करूँगा आज ही इजहार...फिर देखा जाएगा!
कुछ बातें है जज़्बाती, कुछ अनकहे अल्फ़ाज़,
लिख दूंगा इक किताब...फिर देखा जाएगा ! _राज सोनी-
ठंडी हवायें फिऱ चल पड़ी है..
चलो दिलोदिमाग के दरवाजों की मरम्मत ही कर लें..,
कहीं से तन्हाई की दीवारों की दरारें भरवायें
...यादों की खिडकियों पे पर्दे गिरायें,
नहीँ तो.. पुराने दर्द फिऱ से निकलने लगेंगे,
के अबके नहीं वो..उसके तपते लबों की गर्माहट
वो स्वास जिसमें थी.. उसके स्पर्शों की आहट,
वो रातों की अँगीठी पे तपते धुयें से
वो उसके छूने से जिस्म पे उठते रुयें से,
के अबके यह सर्दियाँ उसके बग़ैर ही निकल पड़ी हैं
उफ़्फ़.. यह ठंडी हवायें कम्बख़्त फिऱ चल पड़ी हैं!-
गर्दिश का फलसफा
कुछ यूं समझिये,
बिन दहलीज़ के
दर दरीचे से पूछिए,
आहट तो आती है
दिल पे बार बार
क्यों है वो हमसाया,
खुद से पूछिए!-
"विरह में
व्याकुल प्रेमिकाएं
निहारती रहती उस पथ को
जहां से अक्सर उनका प्रियतम गुजरता हो..."
"छिप
जाती हैं,
उनके सांसों कि
खुश्बू और आने कि आहट मात्र से..."
"और
विलाप करती
आकुल मनस्थिती द्वारा
विरहसिंधू में चक्रवाक पक्षी के भांति...!"-
अगर वो पूछ ले मुझसे किस बात का गम है मुझे.........
मुझे कोई गम ही ना रहेगा......
अगर वो पूछ ले ये मुझसे।।-