"तकदीर को कुछ इस तरह से
अपनाया है मैंने
जो नहीं था तक़दीर में
उसे भी बेपनाह चाहा हैं मैने।"-
अगर आपको फोल्लोबैक करना नही आता,
तो मुझसे कोई अपेक्षा न रखें।
ईगो तो दुसरो का भी हो सकता है,
और काबिलियत दूसरों में भी हो सकती हैं।-
आती हैं साँस वो भी चुभती हुई...
जैसे घुल गया हो मेरी जिंदगी मे जहर...
ये तेरी मुफलिसी हैं यारा...
या हैं....
गैरों की मोहब्बत का असर-
परिक्षम करना ही है
तो पेड़ की
जड़े जैसे करो , न
की पेड़ की
" टेहनीयों "
के पत्तों की तरह
जो रोज़ टूट कर
गिर जाते हैं
और उस नये
पत्ते की तरह़
रोज़ नया
सपना देखना-
हमने आप को एक बार देखा
फिर कही और नहीं देखा हमने
अब ज्यादा क्या कहना हमने
ज्यादा कहना नहीं सीखा हमने-
आमिर खान देश विरोधी तत्वों से मिले तो ये उसकी स्वतंत्रता लेकिन इस कार्य की आलोचना हो तो लोकतंत्र खतरे में...! कितने दोहरे मापदंड हैं?
#आपको_क्या_लगता_है?-
आसमान का चांद कितने रंग दिखाता
इश्क में माशूका का मेल उसी चांद से होता है
इसलिए आशिक को हर रोज नया इश्क होता है-
झुके रहें बस तेरे सजदे में उम्र भर धड़कने मेरी गर
इंतज़ार का इन निगाहों को इक तेरा सलाम आए-
यदि सरकारी व्यक्ति वैक्सीन लगवाते तो कहा जाता कि पहले निर्धनों को लगानी चाहिए। चिकित्साकर्मियों से इसका प्रारम्भ किया गया तो पहले सरकार ने क्यों नहीं लगाई...! ये भी चल सकता था पर यहाँ तो वैज्ञानिकों के परिश्रम पर भी प्रश्नचिह्न लगाया जा रहा है..!
इतने दोहरे मापदण्ड सम्भवतः हमारे देश में ही हो सकते हैं।
#आपको_क्या_लगता_है ?-