इतिहास हमारा पढ़ लेना हमने,रक्त से शब्द सजाएं हैं! सिर कटते थे ,धड़ लड़ते थे तब अहीर कहलाये हैं! अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा
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आत्मा कहे सुजान।
मन की बात न मान।
मन ये बड़ा अधीर।
धीरज तजे न वीर।-
मन सबकी रख लेता है
वो अबोध सा बालक है !
ह्रदय सबकी नहीं रखता,
कृष्ण सा छलित गौ - पालक है !!
आँखें सबको देखतीं हैं
अज्ञेय की असाध्य - वीणा सी हैं !
आँखों की पुतली नृत्यरत
आँखों के सागर में मीन - पीड़ा सी हैं !!
मस्तिष्क युध्दरत महारथी है
जैसे अर्जुन को साधते, कृष्ण सारथी हैं !
श्रवण शक्ति अथाह को सुन सके क्या
जैसे मंदिर के अंतस में बजते शंख पारखी हैं !!
© राजन डायरी 🏹-
सुनो मित्र सब लोग।
कोरोना वह रोग।
फैले पंख पसार।
करता गुपचुप वार।
रख दो मीटर दूर।
चाहे हो वह हूर।
नमस्कार कर आप।
दूर रखो हर ताप।
मास्क रखो मुख ढाँप।
छोड़ो जब घर आप।
छुओ नहीं कुछ चीज।
छिपे वायरस बीज।
साबुन रखकर साथ।
रगड़-रगड़ कर हाथ।
धोओ दिन-भर आप।
दूर रखो हर ताप।
ललित किशोर 'ललित'
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मैं धर्म की पुकार हूं,युद्ध की ललकार हूं
भागवत का सार हूं मै , विश्व में शुमार हूं
प्राणियों में श्रेष्ठ हूं,सुदर्शन चक्र धारी हूं मै
जीवन मरण के बंधन से मुक्त,मै अहीर बलिहारी हूं
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तेरे बेवफाई को यूँ सरेआम करूँगा मैं,
तेरा जिक्र भी न करूंगा और तुझे बदनाम करूँगा मैं।।-