लिखने बैठूं तो आसमां भी झुका दूंगा,
अपने शब्दों पर ऐतबार है मुझे,
कलम ऊठा ली तो लिख दूंगा कि औकात क्या है तेरी ।।
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सुनो मैं आज भी वही हूं,बस इश्क़ करने के वसूल थोड़े बदल दिए,जो तुम बदल गए थे तबसे हम भी कुछ संभल गए थे ।।
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कौन कहता है इश्क़ कुछ नहीं सिखाता,देखो तो उन्हें बदलना सीखा दिया और हमें सबक ।।
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लोग अक्सर मुझसे मेरे प्यार के बारे मे पुछते हैं,
मैं अक्सर कोई कहानी कह देता हूँ,
लोग अक्सर मुझसे उसकी तस्वीर दिखाने को कहते हैं,
मैं अक्सर अपने गली के नुक्कड़ पर खुलने वाली वो खिड़की दिखा देता हूँ।।-
तुम दर्द होकर भी अच्छे लगते हो,
भगवान जाने,
तुम हमदर्द होते तो क्या होता?-
लोग कहते हैं स्वर्ग बड़ी सुकून भरी होती है,
मेरा बस एक ही सवाल है,
क्या बनारस और मेरे गाँव से ज्यादा??-
मोहब्बत ने मोहब्बत से कहा मोहब्बत है हमें तुमसे,
मोहब्बत ने नजरे झुका कर कहा मोहब्बत है हमें उस मोहब्बत से।।-
अपना जो माना है छोड़कर ना जाउंगा,
तेरे साथ हर रिश्ता उम्र भर निभाउँगा
तुम 'सुरभी' अगर हो जाओगी,
तो मैं भी 'अभिषेक' हो जाउंगा।।-
आसमाँ मे वो ताव कहाँ जो हमसे छुड़ाये बनारस,
हम बनारस पर फिदा,हम पर फिदा-ए-बनारस।।-