मोहब्बत का अब ये अंजाम झेल कर
हारे हुए लोगो की वीरानी शाम देख कर
नुक्सान बताता था जो जमाने भर को कभी
वो लड़का रुक जाता है सिगरेट की दुकान देख कर-
तुम से रिश्ता टूट चुका हैं, खुश हो ना
अब तो सब कुछ पहले जैसा हैं, खुश हो ना
शादी कर लो घर वालों कि मर्जी से
लड़का भी सर्विस करता है , खुश हो ना???-
दिल आबाद नहीं हो पाया उसे भुला देने से
फिर कमी महसूस हुई तेरी आंसू बहा लेने से
खूबसूरत चेहरे कई ओर भी थे जमाने मै मगर
मोबाइल वीरान हो गया एक तस्वीर हटा देने से-
समझौते बेवजह खुद करता जा रहा हैं
हमारा इश्क़ अब मरता जा रहा हैं
तुम्हारे बाद तो संभलना चाहिए था हमें
मगर ये लड़का तो बिखरता जा रहा हैं
सुना था वक़्त सब जख्म भर देता है
लेकिन ये सिलसिला तो बढ़ता जा रहा हैं
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आज कल कुछ ज्यादा नहीं कर रहा हूं मै
अपने ख़ुदग़र्ज़ अकेलेपन से डर रहा हूं मै
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तेरे बिन जिंदगी जीने को कब तैयार हुई
जुदा होने के डर से आंखे नम हर बार हुई
किस्मत के खेल मै हार गए हम दोनों ही
मजबूरियां इश्क़ मै अपनी फिर जिम्मेदार हुई-
उनकी तारीफ क्या करू
उनमें ही तो फना हूं मै
काम एक ही है हम दोनों का
कभी मरहम तो कभी दवा हूं मै-
हिंदी के लिए जो भी लिखा जाए वो कम है
अब हिंदी का जो हश्र है इसी बात का गम है-
जो चाहता हूं वो छीन लेता है मुझ से
इस कदर नाराज रहता है खुदा हम से
सूखे दरख़्त पर सावन आ जाता है
जिक्र तुम्हारा छेड़ देता है जब कोई हम से
तुम जो चाहोगे वो होगा प्रशांत
अक्सर ये झूठ कहा करती थी वो मुझ से-