इन सब बातों से
मिठास तो रिश्तो में आ जाएगी,
परन्तु मन में जो कड़वाहट समा जाएगी
उसका क्या ?
आगे चलकर वही कड़वाहट इन मीठे
रिश्तो को भी अपने में समा लेगी
फिर क्या ?
रहेगी तो सिर्फ ये खोखली बातें.........-
16 JUL 2020 AT 12:25
2 JUL 2020 AT 20:43
हो गई है शाम पर सुबह
का रस्ता जोह रहा हुँ,
जाने कितने मुसाफिर हैं,
जो चिरनिद्रा से जुझ रहे हैं।
एक पथिक है आँख का अन्धा,
फ़िर भी रस्ता जोह रहा है,
जाने कितने आँखों वाले,
चिरनिद्रा से जूझ रहे हैं।
जिनकों है जल्दी गन्तव्य तक जाना,
वो पड़ें हैं खीचकर अपना ताना-बाना।
देखो उस पथिक को
जिसको रस्ते की सुध नहीं,
फ़िर भी चलायमान है,
गन्तव्य तक पहुँचने की।
यही विडंबना है
इस धरा की आँखों को सूझता नहीं,
बिन आंखों के रस्ते भी हमसफ़र होते हैं,
उनकी मंजिल तक उनका कारवां होते हैं।-
16 JUL 2020 AT 0:11
कभी कबार अंधा, तो कभी कबार गूंगा ओर तो ओर कभी कबार बहरा भी हो जाना चाहिये।
ऐसे ही रहेंगे तो रिश्तो में मिठास रहेगी।
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17 AUG 2021 AT 11:14
प्यार अन्धा नही होता "साहब"
सच्चा होता है,
इसी लिए उसे किसी मे कमी
नजर नही आती।।
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