इंसान बढ़ते समय के साथ सीखता है,
कौन अपना है कौन पराया है।-
भाई-भाई के बीच मतभेद हो लेकिन मन मुटाव कभी नहीं होना चाहिए।
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परिवार मे खुले विचारों वाला, हँस मुख, ज्यादा बोलने वाला और हर समय हँसी मजाक करने वाले इंसान को मुर्ख, नासमझ और पागल (गेलो-बावले) की इत्यादि उपाधियों से नवाजा जाता है।
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परिवार में हमसे छोटे है उनके साथ हमेशा मान मर्यादा के साथ खुले विचारों होना चाहिए।
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कभी-कभी थोड़ा खुद मुस्करा और हंस कर ओरो को भी हसा देना चाहिए।
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बेवजह हर समय हर कुछ बोल के अपनी ऊर्जा खत्म करने से अच्छा है, चुपी साध के मोन धारण कर लेना चाहिए।
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अमर शहीद राजेन्द्र सिंह जी भाटी।
निज सौणी (कोम) पिला, पावन किया जिसने,
जैसल धरा की माटी को,
मैं नमन करती हूँ उस रजिन्द्र सिंह जी भाटी की।
28 सितबंर को जब दुश्मन ने धावा बोल दिया,
कूद पड़ा वो जंग में बिना परवाह किये जीने-मरने की।
था उसे निभाना, अपने बलिदानी की परीपाटी की,
मैं नमन करती हैं..............
शत्रु के छक्के छुड़ा डाले, ऐसा वो हिम्मतवाला था,
नही फ़िक्र जिसे मौत की, ऐसा वो मतवाला था।
3 रेन्जर्स की कब्र बना दी, जिसने कश्मीर की घाटी को,
मैं नमन करती हैं..............
वीरगति या विजय भावना थी उसके मन की,
रजपूती खून दौड़ा रहा था, रग-रग मे जिसके।
जान लूटा दी अपनी भारत माँ की माटी के वास्ते,
ऐसा वो देशप्रेम का दिवाना था,
खून बहा के अपना, जिसने स्वर्ग बना दिया कश्मीर की धाटी को
मैं नमन करती हैं..............
अपनी वीरागंना की चुड़िया खनकती छोड़ गया वो,
नन्हें बेटे की चहकता छोड़ गया था वो।
दादी की बाँहो की तरसता छोड़ गया वो,
अगली छुट्टी में घर की छत बनवाने के वादे छोड़ गया वो,
लिपट गया भारत माँ की बाँहो में, मिट्टी की लाज बचाने को,
मैं नमन करती हैं..............
पीठ नही दिखाई जिसने, सीने पे गोली खाई थी,
जिसे लेने डोली विधाता की स्वर्ग से आई थी,
28 सितबर को सहादत दी जिसने, छूने नही दिया माटी को
मैं नमन करती हैं..............-
हमारी कभी कबार वाली हंसी, दूसरे इंसान को गुस्सा दिला देती है।
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जिंगदी में एक मोड़ आता है।
जहां सावधानी से कदम भरने पड़ते है।।-