अन्तर्मन होता है निश्छल और पावन
जैसे माँ गंगा का पवित्र दामन
जहाँ धुल जाता है हर पापी का मन
मस्तिष्क होता है पाप का आँगन
जिस शब्द की रचना मे छाई हो
मस्ती से इश्क की घटना
वहाँ से शुरू होती है अंतर्मन की व्यथा
जो रचती है हरपल एक कथा
जिस कथा मे छुपी है दर्द की व्यथा
तो कभी खुशियों की कथा
इन खुशियों की कथा
को छलकते आसूँ देते है बता।
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# 03-07-2021 # काव्य कुसुम # सुसंस्कार #
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अपनी आत्मा के ऊपर चढ़े हुए मैल को धोना पड़ेगा।
जीवन में अहंकार के चढ़े हुए गर्द को खोना पड़ेगा।
अपने अन्तर्मन को सुसंस्करों से सजाओ और सँवारो -
अन्तर्मन को सुसंस्करों से सजाये बिना ताउम्र रोना पड़ेगा।
============= गुड मार्निग ==========
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# 18-02-2021 # काव्य कुसुम # अमृत वेला #
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अमृत वेला में निद्रा त्याग करने से सुखद जीवन का निर्वाह होता है ।
अमृत वेला में अन्तर्मन में अलौकिक शक्तियों का प्रवाह होता है ।
जो सुख चाहो जीवन भर तो अमृत वेला में उठने की आदत डालो -
अमृत वेला में उठने से अन्तर्मन में सकारात्मक तरंगों का प्रवाह होता है ।-
अच्छा सुनो!
सबका ख्याल रखने में
तुम खुद
जीना तो नही भूल गई ना!
मैं तुम्हारी अन्तरात्मा...!
एक गुजारिश है तुमसे
ज़िन्दग़ी देना तो
खुद के लिए भी
थोड़ा जतन करना
मेरा दम घुटता है
जब भी कहीं
तुम घुटती हो!
बताओ ना तुम्हारी
जिम्मेदारियों में
मेरे लिए फर्ज नही बचा क्या!
इन सब के बीच
मुझे तुम ऐसे नजरअंदाज
करती हो जैसे
मैं एहमियत ही नही रखती!-
मेरा तो "प्रेम" भी मेरे मन में,,और "प्रेमी" भी मेरे मन में...न जाने जग सारा बाहर क्या ढूंढ रहा हैं।
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जैसे बूँद गिरती है सहरा पर और
समा जाती है अनन्त गहराइयों में!
वैसे ही मैं उतरूँ तुझमें और
खो जाऊँ तेरे अंतर्मन में सदा के लिए!-
"जरा रूक____
और ठहर के देख ऐ नादान दिल,
सोच तेरे शहर में उजड़ा क्या है!-
# 28-11-2021 # काव्य कुसुम # अन्तर्मन #
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मन में रखी खोट अगर तो सौंदर्य भी अपना रंग नहीं जमा पायेगा।
मन हुआ मलिन अगर तो कोई भी अपना संग नहीं जमा पायेगा।
जीवन में ख़ुश रहने और रखने को अन्तर्मन आलोकित करना होगा-
अन्तर्मन आलोकित हो जाने पर कोई रंग में भंग नहीं जमा पायेगा।
== गुड मार्निंग == जय श्रीकृष्ण == शुभ प्रभात ==-
अन्तर्मन में निहित उस शांत
समंदर की तरह है जिसमें न
जाने कितनी नदियों का जल
शोषित करने की क्षमता होती है ..-
"अन्तर्मन"
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क्या डर है तेरे मन में क्यूँ खुद को पिंजरें में कैद किया है।
तू नही बना है किसी पिंजरें में कैद होने को तेरी मंजिल तो है उडानो में.....
तू कब से खुद को हार बैठा है पहले तो फख़्र था तुझे अपने हौसलों के परों पर.....
तू कब से खुद को तोलने लगा है गैरों की नज़रों के तराजू में........
तू खुद भी तो जानता है जो आज तू जिस मुक़ाम में है
वह भी तो तेरी इबादतों की आशीष है.....
क्या तू नही जानता तेरे नेक इरादों को या ख़ुद से किये वादों को.........
तेरी तपिश का अहसास सिर्फ तू जानता है तेरी खूबियों को भी तू पहचानता है
तू चलता चल जिस सफ़र पर निकल चुका है क्यूँकि यहाँ हर कोई किसी खास मक़सद के लिए बना है।
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