QUOTES ON #अंकिता

#अंकिता quotes

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2 JUL 2017 AT 20:08

मेरा जीवन प्यार की सरिता
प्रेम है मेरा हिन्दी कविता
जो ठानू वो करके दम लूं
नाम मेरा है अंकिता

नही दुखाती दिल हूं किसी का
निर्मल मन है मेरा सच्चा
कोई रहे न कहीं दुखी भी
ईश्वर करदे सबका अच्छा

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9 JAN 2022 AT 23:34

मिले आपके ताल की झंकृति मैं गौण से वृथा हो जाऊं अमर हो मेरी काव्यकृती मैं पन्नों पर 'अंकिता' हो जाऊं

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19 JUL 2020 AT 22:31

जीने का हौसला तो बहुत है, लेकिन
जीने का फैसला कहां अपने हाथ में ।
खुद को तलाशने के लिए निकले थे
लेकिन खुद ही खो गये हमसफ़र के साथ में।

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6 SEP 2020 AT 23:39

माना इश्क़ को सरेआम न किया ,
लेकिन इश्क़ आम भी न किया ।।

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10 JUL 2020 AT 22:25

हम अनमोल नहीं है पर बारिश की बूंदों की तरह है
जो कभी हाथ से गिर जाए तो मिला नहीं करते....

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24 JUL 2020 AT 20:59

वक़्त रहते अहमियत देना सीख लो
क्योंकि,,,
लौट कर सिर्फ यादें आती है
इंसान और लम्हें नहीं ।।।।

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13 MAY 2020 AT 18:05

अकेले बैठकर तुमको कभी.....
जब याद करती हूं.....हां तुमको याद करती हूं.....
मैं रोना मुसकुराना हाय.....
दोनों साथ करती हूं.....हां दोनों साथ करती हूं.....
(अंकिता सिंह)

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14 JUL 2020 AT 23:42

मेरे उड़ने के सब ख़िलाफ़ क्यों?

दुनिया का ये दस्तूर कैसा
अपने ही देते अजाब क्यों,
आस्तीन में छुपाए बैठे खंजर...
हाथों में फिर गुलाब क्यों?

बातों में तहजीब दिखे
दिल में पलता फरेब क्यों,
सलीका है अदब है बर्ताव में...
फिर चेहरे पर नक़ाब क्यों?

जो मिल जाए वो मिट्टी सा
जो ना मिले वो नायाब क्यों,
ख्वाहिशों की ये कैसी प्यास है...
लूटने को हर कोई बेताब क्यों?

शक हैं शिकवे हैं फासले हैं
रिश्तों में उठ रहे गिर्दाब क्यों,
हर कोई जिद पे अड़ा हुआ...
बात बा त पे इन्कलाब क्यों?

जिधर देखो नफ़रत दिखे
हर दिल में इतना इताब क्यों,
लफ्ज़ - लफ्ज़ जिसमें मोहब्बत बरसे
लिखे न कोई ऐसा किताब क्यों?

मेरे हसने पर पाबन्दी है
फिर मेरे रोने का हिसाब क्यों,
ये कैसी अधूरी आज़ादी है...
मेरे उड़ने पर सब खिलाफ क्यों?

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28 NOV 2020 AT 19:18

सब घूरते, मेरे तन बदन,
घूरते चेहरे, घूरते नयन।
घूरते मेरे तिल तिल चाल को,
घूरते मेरे काले घने बाल को।
घुरकर मेरी काया,
क्या तुमने कुछ समझ पाया।
मेरे वक्षस्थल पर जो उभार है,
तुम गिद्दो की नयन भार है,
जो मेरी प्रति तुम्हारी सरोकार है,
मेरी ममत्व, मेरी दुलार है,
ये तुम्हारी सोच, मेरा अधिकार है।

तेज देवांगन

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30 MAY 2020 AT 13:32

तुम्हें लगता है मेरे हो,,
मगर मेरे नहीं हो तुम,,
यकीन कितना भी दिलवाओ,,
मगर अब मेरे नहीं हो तुम,,
मेरी हर सुबह पर कब्जा,,
मेरी हर शाम पर कब्जा,,
मेरे हर ख्वाब में तो हो,,
मगर मेरे नहीं हो तुम,,
तुम्हें लगता है मेरे हो,,
मगर मेरे नहीं हो तुम,,
(अंकिता सिंह)

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