जुल्फों में उसकी उलझना मंज़ूर है,
फिर जख्मों में उसके झाकने से क्यों डरते हो!
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जब - जब लहराए जुल्फें तुम्हारी बेमौसम बरसात हो
संभालो,, तुमने जुल्फों को बढ़ा सर पर चढ़ा रक्खा है-
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है,
जुल्फों-रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है,
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में,
इश्क ही एक हकीकत नहीं कुछ और भी है।-
ये जो ज़ुल्फ़-ए-शिकन-दर-शिकन गिर रहे तेरे रुख़्सार पर
कि काश! कर ले कैद मुझे,ता-उम्र रिहाई न दे
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धूप भी सांवली सी हो गयी है
हवा भी बावली सी हो गयी है।
किसी ने ज़ुल्फ़ लहराई अपनी
आसमाँ में बदली सी हो गयी है।
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तुम्हारी गरदन पे लिपटी हुई ज़ुल्फें हटा लूँ , ग़र इजाज़त हो,
तुम्हारे सीने से लबों के लम्स मिटा लूँ , ग़र इजाज़त हो।
सुलग रहा है ज़िस्म अब तलक कल रात की उमस से,
राहत के लिए ज़रा-सी बर्फ़ जुटा लूँ ग़र इजाज़त हो।-
Tassawwurr bayan karta hoon aap kaa
Tassawwurr bayan karta hoon aap kaa
Zulf dekhta hoon aankhon kaa kajol dekhta hoon zulf dekhta hoon aankhon kaa kajol dekhta hoon
Kya kahoon mai aap se mere alfaazon me aap kaa tassawwurr bayan nahi kar saktaa. Kya kahoon mai aap se mere alfaazon me aap kaa tassawwurr bayan nahi kar saktaa.😢😢😢☺️☺️☺️-
आगोश में लचकती हुई बदन की डाली थी
पुरनूर था चेहरा और ज़ुल्फ भी काली थी-
यह इज्तिराब ए शौक़ न पूछिये गुलाब का,
खिलता है तो बस ज़ुल्फ़ उनकी सँवारने।-