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चलो कुछ बातें करते हैं!
I stopped tearing to bleed poetry!
तेजा़ब से ज्यादा जलाते थे अब्बा के ताने, उनकी आँखों से बरसती बेरुखी!
डर की ज़जीरें चीखतीं थी, कहीं पहचान मेरी 'तालियों की आवाज़' में ही सिमटीं ना रह जाए!
गुनाह मर्दाने हाथों पर 'चूड़ीया' चढ़ाने का जो किया था!
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and if,
baltic winds brushed brilliantly in purple try whirling that last photograph in apocalypse
down the gelid abyss,
photograph kept in your sweater's pocket
wrapped in your sweet smell,
I would still risk it to catch your scent, for a second, just for once
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भटका बचपन, बिछड़ा गांव
चली उम्मीदें नापने पक्की सड़कें नंगें पांव
हो बिकती जहां मजबूरी बाजारों में
मैं बस लाया अपने सर,
जिम्मेदारियों की छांव
ये प्यास शहर के ज़हर की
ईमान दुबोने के दरिया हज़ार
भागे मन,
जैसे काग़ज़ की नाव!
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कि तुम पशमीना धागे से,
मंहगे बड़े हो
मैं वक्त की सूई से
मुलायम मोहब्बत बुनु
या शिकायत की गठाने
तुम बस आराम हो जाना!
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