मत पूछ मेरे दिल मे क्या अहमियत हैं तेरी,
तपिश रेगिस्तान सी मेरी ज़िंदगी में..
आब-ए-ज़मज़म सी क़ीमत हैं तेरी...-
मेरी साँसों से तेरी साँस तक इक पुल बनाना है,
धड़कते जिसमें हों हम साथ बस वो दिल बनाना है।
हर इक ग़ुलशन को जिसकी आरज़ू ने हो किया हैराँ,
मुझे ऐसा ही दिलकश दिलनशीं इक ग़ुल बनाना है।
अंधेरों में भले हो कैद मेरा आज पर मुझको,
चमकते चाँद के मानिंद मेरा कल बनाना है।
सिमट आएँगी बातरतीब जिस में अनगिनत सदियाँ,
मुझे सदियों से भी लंबा इक ऐसा पल बनाना है।
भले मुमकिन नहीं है फिर भी मेरा ख़्वाब है कुछ यूं,
मुझे ज़मज़म-ओ-गंगा पाक जैसा जल बनाना है।-
ज़मज़म लाया है वो मेरे आका के शहर से,
बलाओं अब तुम्हारा ठिकाना यहां नहीं...-
Ab kaha Ganga Jamuna jaye aur kya Aab-E-Zam-Zam ke ghoont lagaye
Koi dil se dua de de
Toh mere saare gunah yahi maaf ho jaye-
Zam Zam jaisa koi pani nahi
Namaz jaisi koi ibadat nahi
Qura'an jaisi koi kitab nahi
Kalme jaisi koi daulat nahi
........………Aur………………
Jumma jaisa koi din nahi
Subhanallah
Jumma Mubarak-
Woh ishq ishq hi kahan jab tak jhoota na khaya jaaye,
Mere liye ab bas Ajwa aur Aab-e-Zam Zam laaya jaaye
🤗-
पानी था जिनके सदके में पानी उन्हीं पर बंद था
तीन दिन की तिश्नगी से हल्क एकदम खुश्क था ..
वह मासूम अली असगर के हल्क पर जो तीर चला
उन यजीदियों का कलेजा फिर भी ना थोड़ा हीला ..
वह बहत्तर तिश्नगी को भूल कर ज़िंदगी लूटा दिए
हज़रत इमाम हुसैन ने दुश्मनों के परखच्चे उड़ा दिए ..
इस्लाम को बचाने के खातिर सजदे में सर कटा दिया
फातिमा(र.अ) के लाल ने नाना का वादा निभा दिया ..
या हुसैन! आपने अपनी शहीदी से इस्लाम को जिंदा कर दिया ..-
Saaf h dil apka
Paak daman v ho
Zam Zam to paak hai hi
Par aap v kuch kam nhi ho-
Aab -e- zamzam jaisi hai uski nind wali awaz....
Jab bhi sunta hu...
Is bimar rooh ko shifa de jaati hai...-