तेरे शाने पर रखकर सिर मैनें वो रात गुजारी थी तू पास ही था मेरे...बहोत पास पर फिर भी न जाने क्यूँ तुझसे मिलने की बेकरारी थी तुझे छूकर तेरी साँसे मुझमें ही समाने लगी थी ये ख़ुमारी थी तेरे इश्क़ की जो मेरे रुख़सारों पे छाने लगी थी
किसी उजली छाँह की तलाश नहीं है किसी मीठे झील की अब प्यास नहीं है, नभ धरा के हाशिये के आस-पास धडक रही है धीमे-धीमे -साँस, उस मीत के सत्कार में हूँ। मैं प्रकृति के प्यार में हूँ...।
Hey You! Why are you in despair, Is there anything to repair? Come, share your gloom, I'll try my best to make you bloom. If I succeed in drawing stars, all around your scars, Then promise me, you'll stop this war And shine forever like a Star.