इश्क़ की दास्तां अधूरी थी अधूरी है
तेरा बिना ना मैं पूरा था , ना तू पूरी है
एक तेरा दर्द एक मेरा दर्द, जैसे दुखों की मजदूरी है
तेरा बिना ना मैं पूरा था, ना तू पूरी है
आसमा को तारे कितने देदो, पर चांद भी तो जरूरी है
कैसे सहले वो अमावस की रात, जब उस रात मे दूरी है
क्यूं काठने को दोड़ता है तेरे बिन का शोर सन्नाटा
क्या ख़ामख्वाह की मजबूरी है
तेरा बिना ना मैं पूरा था, ना तू पूरी है
इश्क़ की दास्तां अधूरी थी अधूरी है
-