या खुदा ये कैसी तेरी खुदाई
उसने झूठ बोलकर भी कुछ नही खोया
हमने सच बोलने की बहोत बड़ी कीमत चुकाई
लाख सोचा कि ख़ुद को बदल लूँ ज़माने के हिसाब से
मग़र मैं चाहकर भी
ढक न सका अपनी ईमानदारी को बेईमानी के नक़ाब से-
13 MAR 2020 AT 20:24
7 AUG 2019 AT 13:41
मुसाफिर की फितरत~~
वो भी ईमानदार!!
अमा मियाँ, आप तो
खुशनसीब निकले..-
14 OCT 2019 AT 21:23
खुदा भी न जाने कैसे-कैसे रिस्ते बनाता है,
सबसे ज्यादा वही रोता है जो इमानदारी से पुरी तरह वफ़ा निभाता है....।।-
12 SEP 2020 AT 17:48
अपने जीवन से मैं और अंहकार को मिटाओ,
झूठ और लालच रूपी बुराईयों को मिटाओ।
सच्चाई और ईमानदारी के पथ पर आखिरी सांस तक डटे रहो,
काम और क्रोध को जड़ से उखाड़ फेंकों।
धन्यवाद जी और tc.
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18 JUL 2020 AT 23:38
बड़ी कच्ची निकली ईमानदारी की सड़क...
दिल्ली से गाँव पहुँचते-पहुँचते मिट्टी हो गई ।-
26 MAY 2020 AT 18:07
Shaheen Teri Parwaaz se Jalta hai Zamana..
Tu kuwate bazu se usse Or Hawa de...!!!-
7 AUG 2019 AT 14:09
हमारे साथ चले कुछ दूर तक
फिर चल पड़े अपनी राह पर
एक अनजाने मुसाफ़िर की तरह।-