सुबह से ज्यादा मुझे हर शाम है भाती
जो लाती मेरे पापा के घर आने की पाती,
पापा लेकर आते खिलौने, चॉकलेट्स
पर उनके दुलार के आगे वो भी फीके पड़ जाते,
जब भी कोई दुःख मेरे पास है आता
राह में खड़े वो मिलते हैं,
उन्हीं की खातिर
मेरे होंठो पे आज ये फूल खिलते हैं,
सर्दी,गर्मी या हो बरसात निकल घर से वो पड़ते हैं
हमारे लिये ही सारे दिन वो काम करते हैं,
अपनी इच्छाओं का गला घोंट
सपनें सबके पूरे करते,
ईश्वर को मैंने देखा नहीं
पर मेरे तो भगवान हैं पापा,
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