जो देखें थे ख्वाब कभी वो आज गुमनाम हो गए।
शहर में पड़ी गाँव की मिट्टी को लोग धूल कीचड़ कहकर बदनाम कर गए।
ऊँचे थे घर जिनके वो झोपड़ी में रहने वालों को अनपढ़ गंवार कह गए।
फिर
झोपड़ी में रहने वालों को ऊँचे घर मिल गए और पुराने ख्वाब फिर गुमनाम हो गए।😢
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एकांत में यह खुद से बात करती है
होता हूँ में जब तन्हा अकेला तो... read more
क्यों छोड़ दी ये दुनियादारी
भूलकर बातें ये सारी
खुद ही खुद को मिटाया
खुद को खुद के करके काबिल
था तू सितारा तुझमे दम था
चाहता तो तू भी लड़ता
बेवजह बातों में पढ़कर
क्यो अपनी चमक को कम समझता
काश हो सके तो तू बात करता
खुद को ना अकेला समझता
हम सब तेरे साथ ही थे
बस एक मुलाकात तो करता
है आ रहा अब सच सामने
जब हारा है तू झूठ से
हर जगह तेरी ही फरियाद है
बस तेरी ही तो याद है
हा तुझमे ही वो बात थी
जो तुझ से खुद अंजान थी।
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मेरी मंजिलों का आसमान आज गुनगुना रहा था।
जैसे सरगम ए काबिलियत के गीत मुझको सुना रहा था।
था फ़ासला जो मेरा जमीं से आसमां की ऊंचाई के बीच का।
तो फिर यह उमंग व उत्साह के पंखों से वो लम्बी दूरियों को भी मिटा रहा था
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ख़ुश तो तुम भी नहीं थे हमें छोड़कर
फिर क्यों चले गए यु मुख मोड़कर
माना कि छोटी-छोटी गलतियां हो जाती है सबसे
पर इसका मतलब यह तो नहीं
कि चले जाओगे तुम दिल तोड़कर😢-
ऐ खुदा सबकी ज़िन्दगी सजा दे
अब और न कोई किसी को सजा दे
आपसी मतभेद मिटे और सबमें रजा दे
असल जिन्दगी का सबको मजा दे 🙂
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मैने चाहा था कि करूँगा तुमसे प्यार
पर न कर सका इन लफ्जों से इजहार
बस यू ही हर पल में करता रहा इंतजार
मुझे लगा कि तू समझेगी मेरे दिल की बात
कभी तू आएगी और रखेगी मेरे कंधे पर हाथ
यह तो एक ख्वाब है मेरा
पर सच कहूँ तो मैं जीना चाहता हूँ तेरे साथ
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क्यो फिक्र की आग में जली है जिन्दगी
तुम साथ चले तो बढ़ी है जिन्दगी।
क्यो गुनाहों की भी माफी मिली है तेरी अदालत में
पर भरने पड़े हैं पुण्य अपने खाते में।
क्यो मशहूर हो गए अक्सर वो तेरी गली में सर झुकाकर
जो ढूंढते थे तुझे कभी जंगल में जाकर।
अब छोड़ दी वो कश्तियां मेंने जो अक्सर डुबोती थी।
और आ गये हम किनारे पर।
आज वक्त ने फिर रुख़ बदला है अपना
मेरे दिल की किताब को तुझे अब खुद है पढ़ना।-