मेरे लिए कई बार चिंता में डुबते देखा है, मम्मी की शिकायतों को हंसी में टालते देखा है, समाज से लड़ कर हमें अपनी पनाहो रखते देखा है, पापा की लाडली बेटी सुन कर ख़ुश होते देखा है..!
कभी -कभी ये समझ नहीं आता हर सख्श दूसरे पे इल्जाम क्यू है लगाता तेरी जिंदगी तेरी मर्जी फिर क्यू तू ही अपने हर मामले में बाहर वालो को घसीटकर है लाता......