Jokar   (K.T)
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Joined 22 November 2018


Joined 22 November 2018
8 JAN AT 20:44

वो _ क्यों चाहती हो मुझे ?


मैं _ बेवजह ।

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8 JAN AT 11:02

चाहना किसी को तो बे इंतेहा चाहना
चाहना किसी को तो बे इंतेहा चाहना
मगर एक बार बिछड़ने के बाद
मगर एक बार बिछड़ने के बाद
यार फिर उससे कोई मुलाकात ना चाहना
क्योंकि गुज़रे दिनों में जो खूबसूरत यादें सजोया था तुमने वह सारी मिट जाएगी और फिर एहसास होगा तुम्हें की यह तो वह शख्स ही नहीं जिसे मैंने बेइंतहा चाहा है जिसका मैंने इतने सालों से इंतजार किया है और चाहा है कि एक मुलाकात हो जाए उससे यार मिलने के बाद , सच में तुम्हें लगेगा कि ..... हमारा ना मिलना ही अच्छा था.....

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13 JAN 2022 AT 12:44

रोना चाहूँ तो भी आँखे नम नही होती
अब तो मुझे कोई बात बुरी नही लगती
कही जाना किसी से मीलना अब
ऐसी भी इच्क्षा नही होती
कौन अच्छा कौन बुरा कह रहा है
इन बातो से भी खुशी और गम नही होती
कभी कहाँ करते थे लोग
यु ज्यादा हसाँ नही करते
छोटी-छोटी बातो पे आँखे नम नही करते
और आज इक जमाना है जब कहते है लोग
तुझे किसी बात पे हँसी क्यु नही आती
पत्थर हो क्या ?
तुम्हारी आँखो में नमी तक नही आती
रोना चाहु तो भी आँखे नम नही होती
अब तो मुझे कोई बात बुरी नही लगती !!

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8 JAN 2022 AT 20:47

कभी-कभी मन करता है न
कि साला भाड़ में जाये ऐसी जिंन्दगी......


ऐसा सोचना भी पाप है..
👇👇👇👇

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25 DEC 2021 AT 20:17

परिस्थितियो को कोसता
तो मैं कर्ण नही होता
दुनीयाँ की सुनता
तो मैं कर्ण नही होता
कोई और लेता फैसला मेरा
तो मैं कर्ण नही होता
मित्रता भी किसी स्वार्थ से करता
तो मैं कर्ण नही होता
डर-डर के जीता
तो मैं कर्ण नही होता
हर बार इक नये मित्र को तलासता
तो मैं कर्ण नही होता.....

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25 DEC 2021 AT 9:17



इश्क़

कोई समन्दर कोई सागर
कोई बरसात कहता है
कोई फुल कोई खुशबु
कोई बाग कहता है
कोई परी कोई हूर
कोई आफताब कहता है
कोई किश्मत कोई चाहत
कोई जान कहता है
कोई लैला कोई हीर
कोई चाँद कहता है
कोई दूनीयाँ कोई जिंदगी
कोई जन्नत कहता है
फीर, कोई गजल कोई सायरी
कोई किताब लिखता है....

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20 DEC 2021 AT 10:49

अब कोई हलचल ही नही हो रहा
ऐसा लगता है जैसे मेरे अन्दर कोई मर गया
आँखो की नमी अब सुख सी गयी
मेरी आत्मा ही जैसे मेरे अन्दर नही
अब जैसे मुझे कुछ सुनाई ही नही दे रहा
मेरी आँखो को कूछ दिखाई ही नही दे रहा
अब तो दर्द भी नही हो रहा
कुछ महसुस हो इस आश में
मै खुद को ही कितने जख्म़ दे जाती हूँ
कभी तो पलट के देखु
खुद को ही कितना मैं आवाज देती हूँ
अपनी ही धडकने सुनाई नही दे रही
जाने वो धडकती भी है या
वो भी धडकना भुल गयी
खुद के लीए ही अजनबी बन बैठी हूँ
जाने कौन हूँ मैं और क्या मैं चाहती हूँ

K-T














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19 DEC 2021 AT 19:12

कितने मंदिरो में मन्नत के धागे बांध आयी है
आज राधा खुद अपने कान्हा के लीए
रुक्मणी मांग आयी है!!!

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11 DEC 2021 AT 9:49

मेरी हर हरक्त का जिम्मेंदार तु है
मेरी सायरी का बदला अंदाज तु है
मेरे आँखो के आँशु और
मेरे बेवजह हँसने का राज तु है
तुम हर जगह महसुस जो होने लगे हो
इन हवाओ में इन फीजाओ में
तारो के बीच से झाकते
तुम चाँद में भी नज़र आने लगे हो
मेरा आईना भी आज कल चमकने लगा है
मेरी लिपस्टिक के रंग में वो भी रंगा हूआ है
आज कल मैं जो हर काम बीगाड़ने लगी हूँ
तेरी वजह से मैं बात-बात पे डाट खाने लगी हूँ
मेरे कमरे में अब गुलदस्ताए बहूत कम बची है
तेरे चकर में मैने जाने कीतने तोड़ रखी है
मुझे सुधर जाने को आँखरी बार बोला है माँ ने
नही तो डोली में बैठा मुझे भेज देगी
ऐसा कहाँ है माँ ने ...
इतना याद मुझे तु आया ना कर वो कान्हा
ऐसे मुझे सताया ना कर वो कान्हा ....!!

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9 DEC 2021 AT 10:04

बीना सोचे समझे बोला गया शब्द
और बीना सोचे समझे किया गया कार्य
इक दीन व्यक्ती के विनाश का कारण बनता है
द्रोपदी ने अगर दूर्योधन को ताना ना मारा होता
तो द्रोपदी का वस्त्र हरण ना होता और
अगर दूर्योधन ने वस्त्र हरण ना किया होता तो
उसके कुल का सर्वनाश नही होता......

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