छांव के सब दर्द़
बस धूप जानती है...-
सभ्यता बदल रही है, और संस्कृति की
हत्या हो रही है l
Plzz read caption.. 👇👇👇-
Saying thanks...
It's something we get to say..!
Something we are inspired to say..!
To someone who has touched us with their kindness, thoughtfulness or generosity..!
Or all-of-the above...
AND I'M THANKFUL TO U ALL FOR MAKING ME A PART OF THIS WONDERFUL JOURNEY..!!-
"Majak" Toh tumhare
"Ishq" ne kiya hai,
Saare Mohlle me
bawal kar diya aur
mujhe Khabar tak nahi.-
"हमेशा रुलाने की आदत है उसकी,
और मैं उसे खोना नही चाहती।
वो अपनी ज़िद से मुझसे मिलने नहीं आता,
और मैं उससे मिलने जा नहीं सकती।
समय का कारवां एक दिन ऐसा आयेगा,
मेरा प्यार तुम्हे मेरे पास जरूर ले आएगा।।"-
कागज पर आयी नहीं,आखिर दिल की बात।
प्रेम, बिछौने में रहा ,जैसे शिशु नवजात।-
निरंक पृष्ठ पर उकेरी गयी शब्द आकृतियाँ
कितनी विरोधाभासी
विरह वेदना प्रेम उदासी
सब के सब पराश्रित
क्षीण होती उर्वरा
बंजर हुए मन कोश में
परिप्रेक्ष्य और संदर्भ के
मध्य आकार लेती कल्पना
उद्भासित कर देती है
उस परम सत्य को
जिसे मिथ्या कहकर
टालने का दंभ
रखना....
अनुचित होकर भी
सदैव उचित है!
प्रीति
३६५ :33
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आतुर प्रेयसी की भांति
कविताएं
भांति-भांति के श्रृंगार से
अपने
काव्य सौष्ठव
निहारती हैं
दहलीज लांघने
से पूर्व....!!
प्रीति-