कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता लौटती नहीं
तमाम तजुर्बे के किस्से मिल गये
कभी खुदाओं वाले मिले, तो ग़ैरत वाले भी
अंदाज़-ए-अदा सबके, हम भी कामिल रुबाब हो गए
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👉 आओ मिलकर, इस जहां को कुछ ऐसा बनाये
सबके लबों पर खुशियाँ हो, अ... read more
सभ्यता बदल रही है, और संस्कृति की
हत्या हो रही है l
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दोस्ती ऐसी हो जैसे इबादत करना
वरना बेकार है रिश्तों की तिजारत करना
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देखो मनमोहक प्रकृति की छटा
मेघों की छायी काली घटा
प्रातः ओस की बूँदों से सजा तरुवर का पर्ण-पर्ण
सूरज की लालिमा से स्पर्श हुआ,
धरा का कण-कण
सुन्दर मनोभावी बहती बयां
देखो मनमोहक प्रकृति की छटा
पिक की कुहू ध्वनि
सरिता का जल कल-छल
मंद-मंद सौंधी खुशबु
पुष्पों, व पल्लव का हिल-डूल
हृदय-तल को छू गई प्रकृति की ये मन-भावी हवा
देखो मनमोहक प्रकृति की छटा-
वे मुस्कुराते फूल नहीं,
जिनको आता है मुरझाना
वे सूरज सा तेज नहीं
जिनको धुँध में आए छिप जाना
वे तारो के दीप नहीं
जिनको भाता बुझ जाना
वे योद्धा ना वीर कभी
जिनको आए परिस्थितियों से डर जाना
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कब तक गुमशुम बैठे रहोगे
आओ गुफ़्तगू करे
तुम कुछ अपनी सुनाओ
हम कुछ अपनी सुनाए
ताकि एक जुस्तजू जगे
दिल मे हो कोई ख़लिश तो तुम कह देना
जज्बातों से अपने
दिल का दरिया बिखेर देना
अपने मासूम से आरज़ू को मत दबाना
आँखों में गम भरे तकलीफों को मत छुपाना
थोड़ा रो लेना थोड़ा मुझे भी साथ रुला लेना
अपनी दस्ता सुना
गम का बोझ हटा लेना
वैसे तो ये दुनिया
जश्न-ए-बहार दिखावा है
जो दिखता यहा हकीकत कहा छलावा हैl
ना लेना दिल से कोई बात ना होना आजिज़
सितम अंधेरों की ना सहना
उल्फतो से हो जाना वाकिफ़
घुट घुट के ना सहना
गुमशुम अब ना रहना ll
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कष्ट कौन से कम है जीवन में
खुशियो को ढूंढ लाएँगे
तूफ़ानों के लहरों को मोड़ के
एक नया साहिल बनाएंगे
हौसले से अपने एक नया अध्याय शुरू होगा
खुद को ऐसे बदलेंगे,
कुछ नया कर जायेंगे
अपनी दुनिया को
सारे रंगों से सजाएंगे
पतझड को भी बहार बनायेंगे
फ़ूलों सी महक जाएगी जिंदगी ll
कलियों सी खिल जाएगी जिंदगी ll-
होती है साहब
किसी के दिलों की उम्मीदे बन के देखो
किसी के भीतर बुझे हुए
चिरागों को जला के तो देखो
एक रोटी की आस लगाए उस मासूम को
कभी रोटी, तन पर कपड़ा देके देखो
उन आँखों के लिए छोटी ही सही
एक उम्मीद बनके देखो...
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