आज खुद ही रूला कर माथे को चूम गले से लगा कर तुमने मेरे आंखों से आंसू ना निकलने दिए बहुत करीब से महसूस किया आज मैंने तुम्हारी मुहब्बत को जब मुझे उदास देख तुम भी रो दिए शायद ये वो एहसास है जो महसूस तो किया जा सकता है मगर बयां नही जा सकता।।।
अश्क गिरे... मुक्कमल हो गये चिन्ह से बने.. स्याह रात हो गये जिस्म से लगे.. बदजात हो गये घटा पर सजे.. बरसात हो गये आग में तपे.. आफताब हो गये दरिया पे चले.. बरबाद हो गये बगावत पे अडे.. इंकलाब हो गये ख्वाब के तले.. बदहवास हो गये