लोग मुझसे पूछते है
तुममें क्या श्रेष्ठ देखा है मैंने ?
इस कठिन से प्रश्न का उत्तर
यही कहना... मैं ,मेरा तुममें होना है।-
#बनारसी
#भोले_बाबा_की_नगरी
शीशा हूं टूटने पर भी खनक छोड जाउंगा
#Pl... read more
मेरे इन आंखों में
अब ...अनगिनत से ख्वाब है
एक तुम्हारे होने भर से
कितना कुछ पा लिया है मैंने-
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम
#जॉन_एलिया
#Birth_Anniversary-
उससे प्यार है , बतलाना बड़ा ही आसान था मेरे लिए
पर प्यार जतलाना , उतना ही मुश्किल काम रहा मेरे लिए-
पद चिन्ह से उभरे है
गर्भित उर्वी के गर्भ गृह में
लेने को है आकार एक तन
आकाश से भी ऊंचा हुआ
जा रहा एक ब्रह्मांड देखो
जन्म लेने को है आभा मंडल में
ममतामयी साकार घट अवन को
संवारती है जो पकड़ कनिष्ठ
अभिसार करे है आँचल में शिशु मन को
वहीं उर्जित है मां के वक्षस्थल को
लिए हो जब प्रथम भाव में मुख स्तन्य को
ह्रदय में छिपायी है कोख की पीड़ा
लगाया हो अंग से विदारक जन भाव
तुुम वही हो " माँ " सृष्टि की प्रतिभाव हो-
आखिरी बाजार
तुमने कभी देखा है खाली कटोरो में बसंत का उतरना
यह शहर इसी तरह खुलता है और इसी तरह भरता
खाली होता है यह शहर. इसी तरह रोज रोज एक अनंत शव ले जाते हैं कंधे अंधेरी गली से चमकती हुई गंगा की तरफ इस शहर में धुल धीरे-धीरे उड़ती है धीरे-धीरे चलते हैं लोग धीरे-धीरे बजती है घंटे शाम भी धीरे-धीरे होती है .-
छज्जे पर बैठे दो पंछी , रोये सब दिन साथ है
झरे नीर आंखों से ,लगे काले बादल बरसात हैं
हर डाली-2 से चुने ,तिनका-2 जोड़े साथ है
बिछड़ा आशियाँ उनका,रह गये खाली हाथ है
बिन कहे बिन बोले, रहते गुमसुम से आजकल
जाने कहा वो दिन जब चहके दोनों अनायास है
किससे कहें, किसको सुनाये, दर्द की बात है
सब रहते मशगूल सबकी अपनी-अपनी जात है
ये मौसमों का जोर कहे या कहें घटाएं घनघोर
टूटा है पहाड़ प्रेमी युगल पर , डूब गया जहान है
यह उनके लिए है सावन, मेरे लिए प्रेम मात है
जब डूबने लगे नदियां भी ,धरती पर वज्रपात है-
उसे भी अब याद नहीं , मैंने भी भूला दिया
अाखिरी मुलाकात में मोहब्बत ' फ़ानी ' बना दिया
चांद तोड़ लाने का वादा, उम्र साथ निभाने का वादा
उसके लिए सब कश्में वादे 'नाफरमानी' बना दिया
कभी तख्ती दिल बनाया,कभी साथ आशियाना सजाया
उसके लिए सब रिश्ते नाते बचपन की 'नादानी' बना दिया
मोहल्ले भर में एक उसी की खातिर... बदनाम हुए थे
आज उसकी बेवफाई ने कायनात का 'शानी' बना दिया
तुम कभी मिलोगे तो पूछेंगे, यहां अब रहेगा कौन
तुमने घर को घर नहीं, सहरा की 'वीरानी' बना दिया
रो पड़े आज जब अचानक से ,पूछ रहे लोग सबब
चला गया है गर्द आंखों में कहके अश्क 'पानी' बना दिया-
मुझे अभी ' जिंदगी ' में बहुत दूर तक जाना है
मैं तुम्हारे लौट आने तक रस्ता नहीं देख सकता-