ये मेरी कलम और मेरे कुछ अल्फाज़,
रख देना मेरे साथ, जब छूटे हर हाथ,
बहते हुए अश्कों में मुस्कुराते हर पल में,
भीड़ से घुटते शहर में, मेरे अकेलेपन में,
मेरे हर सफर में, बोझिल होते कदमों में,
अजनबी से रिश्तों में, बंधन वाली रस्मों में,
पूरे होते और पलकों पर टूटते सपनों में,
कभी बेगानी अहसासों में कहीं अपनों में,
इसने हर हाल संपूर्णतया दिया है साथ,
इसे रख देना उस अन्तिम क्षण मेरे हाथ
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Meri Subah Bhi Aap Se Hoti Hai
Mera Sham Bhi Aap se Hota Hai
Aap ke tasvir ko dekh ke
Dil Ko Sukoon aur
aankhon ko Aaram Milta Hai-
அனைத்து_உறவுகளுக்கும்_இனிய_வணக்கம். தொடர்ந்து பழந்தமிழ் இலக்கியம் சார்ந்த பதிவுகளை வெளிக்கொணர முயற்சி செய்து வருகிறேன். தங்கள் ஓய்வு நேரத்தில் பதிவினைப் பார்த்து தங்கள் மேலான கருத்தினைப் பதிவிட அன்பாய் வேண்டுகிறேன். ஊக்குவிப்பவர் உடனிருந்தால் ஊக்கு விற்பவரும் தேக்கு விற்கலாம். தங்களுக்கு என் பதிவுகள் பிடித்திருந்தால் பின்னூட்டம் அளியுங்கள், பகிருங்கள்,விருப்பக்குறியீடு அளியுங்கள். தொடர்ந்து இவ்வாறான காணொளியை தாங்கள் பார்க்க விரும்பினால் என் வலையொளிக்கு (YouTube channel Name: சரவிபி ரோசி சந்திரா ) சந்தாதாரராகி ஆதரவு அளியுங்கள். தாய்மொழி உணர்வால் ஒன்றிணைவோம். நம் பழந்தமிழ் இலக்கிய விழுமியங்களை உலகறிய வைக்க உறுதியேற்போம்.
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उठो!! उठो!! उठो!! .... कौन नहीं उठा अभी तक 📢📣📢📣📢😜😜
9 बज गए🤓🤓...Good morning 🌻
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Poetry आई ना..😁😁🤭🤭🤭...
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अच्छा thank-you 🙏😇
Bye bye-
Title:-गुलाब 🌹
अचानक मिलने लगे गुलाब
क्या वक़्त बदल गया मेरा
मुझे देखने का अन्दाज़ तेरा पहले
सा नहीं, क्या नया चेहरा हैं अब मेरा,
एक गुलाब को तरसती थी में कभी ,
गुलदस्तों से ख़ुदा ने भर दिया सुनहेरा सवेरा,
अचानक मिलने लगे गुलाब
क्या वक़्त बदल गया मेरा l-
Find humour instead of sense,
Choose to love instead of being disappointed !
Because life is all about simplify the things
Complexity is already there to confuse you, make yourself and others smile by your charm,
this is the need of the hour.-
Dil tuta ho Kabhi ham se to chota bhai,, Samajh ke maaf kar dena.
Aaoge nahi agar tum mere janaze par to,, Hamare yari ki tauhin hogi .
Ab bas intazar hii us vakt ka jab ham ,
Char kandhon par aur sari duniya,
Paidal hogi...-
ये दिल जो मेरे सीने में है,
धड़कता है... अब तो ज़ोरो से धड़कता है..
मचलता है... तुम्हें देखते ही मचलता है.....
ये जो मिज़्गां हैं मेरी, ना जाने किस कश्मकश में हैं...
तुम्हें देखने को बेचैन रहती है..
और तुम दिख जाओ तो
खुद में ही शरमा जाती हैं...
ये जो होठ हैं मेरे, इनमें अब अलग ही जुम्बिश है...
तबस्सुम तो है ही, रूह की फ़ज़ा में..
मगर अब तो शीरीं की तिश्ना-लब भी मुसलसल नज़र आती है....
और "मेरी धुन" कहती है...
के दाखिल हुए हो तुम जिस हरक़त से...
ये हरक़त कमाल है....
और तेरे उल्फ़त में जो इज़्तिराब है,
वो तो इससे भी कमाल है!!-